चास बोकारो में मनी गुरु नानकदेव जी की जयंती
बोकारो/चास : छोटे-छोटे कृपाणधारी बच्चे केसरिया पगड़ी में दमक रहे थे. बड़ी लॉरी पर बने स्टेज पर बच्चे नारे लगा रहे थे. जगह-जगह तोरण द्वार पर मोटे हरफों में लिखी गुरुवाणी. रविवार को चास-बोकारो कुछ बदला-बदला था.
चारों तरफ गुरुनानक देव की वाणी और आदर्श को जीवन का आधार माननेवाले खालसा पंथ के गुरुओं का गुणगान था. घरों से निकल कर औरत व लड़कियां सड़कों पर आकर कतार में खड़ी हो गयी थी. घर-आंगन में चलने वाले औरतों के पांव करीब 10 किमी की सफर पैदल चलने से जरा भी नहीं हिचके.
सड़के के किनारे बोकारो से लेकर चास तक शायद ही कोई ऐसा मुंडेर होगा, जहां भीड़ न लगी हो. चास के व्यस्त बाजार पर पूरा का पूरा ताला जड़ा था. करीब आधी किमी से ज्यादा लंबी इस शोभा यात्रा की कतार 25000-30000 लोगों के बीच से गुजरी.
बीच में नानक जी की पालकी और पालकी में गुरु ग्रंथ साबिह, पालकी के आगे 10-15 और पालकी के पीछे 10-15 बड़ी छोटी गाड़ियां शोभा यात्रा की शोभा में चार-चांद लगा रहे थे. जो बोले सो निहाल सत् श्री अकाल.. के जैसे नारे सिर्फ सिख धर्मियों के मुख से ही नहीं बल्कि जन-जन की जुंबा पर थी.
हर धर्म के लोग हुए शामिल
हर धर्म और हर जाति की इस शोभा यात्रा में अपनी मौजूदगी चास और बोकारो की कौमी एकता को दरसा रहा था. सड़कों की सफाई कर पानी का छिड़काव करने में कई लोगों ने श्रमदान दिया. पता भी नहीं चला कि कौन सिख है और कौन मुसलमान. सभी लोग शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे थे.