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विरोध में ही समस्या निदान के तरीके होने चाहिए

अवार्ड वापसी मामले पर ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित डॉ हेमलता एस मोहन से खास बातचीत बोकारो : लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है. असहमत होने पर विरोध किया जा सकता है, पर विरोध में ही समस्या निदान के तरीके होने चाहिए. सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने से समाज को […]

अवार्ड वापसी मामले पर ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित डॉ हेमलता एस मोहन से खास बातचीत
बोकारो : लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है. असहमत होने पर विरोध किया जा सकता है, पर विरोध में ही समस्या निदान के तरीके होने चाहिए. सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने से समाज को काई फायदा नहीं होने वाला है.
यह बातें 2004-05 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित डॉ हेमलता एस मोहन ने शनिवार को कही. डॉ हेमलता झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. फिलहाल, वह डीपीएस बोकारो की निदेशक व प्राचार्या हैं.
असहनशिलता के मामले में साहित्यकारों व अन्य बुद्धिजीवी वर्ग की ओर से चलाये जा रहे अवार्ड वापसी अभियान को लेकर प्रभात खबर ने शनिवार को डॉ हेमलता से विशेष बातचीत की. डॉ हेमलता ने कहा : अवार्ड किसी व्यक्ति या विचार से नहीं जुड़ा है. अवार्ड का जुड़ाव देश की भावना से है. अवार्ड वापस कर कहीं न कहीं देश की भावना को आहत किया जा रहा है. देश की अस्मिता को चोट पहुंचायी जा रही है. लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार हर किसी को है, पर विरोध का तरीका भी लोकतांत्रिक होनी चाहिए.
साहित्यकार समेत बुद्धिजीवी वर्ग को राजनीति से दूर रहना होगा
डॉ हेमलता ने कहा : अवार्ड लौटाना क्रोध का प्रतीक है. क्रोध से सिर्फ नुकसान ही होता है. असहमति का नजरिया कुछ भी हो सकता है, पर विरोध में तथ्य को ज्यादा जगह देने की आवश्यकता है. कहा : राजनीति हर जगह है. देश को सकारात्मक राजनीति की जरूरत है. इसका अभाव दिख रहा है. साहित्यकार, कलाकार व अन्य बुद्धिजीवी वर्ग को राजनीति से दूर रहने की आवश्यकता है. कहा : बुद्धजीवी वर्ग को विरोध के तौर पर स्वस्थ प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है. ऐसे लोगों को समाज का मार्गदर्शन करने की जरूरत है.
आवार्ड लौटाने का सवाल ही नहीं उठता
डॉ हेमलता एस मोहन ने कहा : विरोध करने के कई तरीके हैं. पीड़ित व्यक्ति के घर जाकर सुख- दुख का साथी बना जा सकता है. अवार्ड लौटाने से समस्या का निदान नहीं हो सकता है. विरोध का सकारात्मक नजरिया होना चाहिए. डॉ हेमलता ने कहा : किसी भी बात पर असहमति के लिए अपने अवार्ड को लौटाने का प्रश्न ही नहीं उठता. सामाजिक बुराईयों के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करूंगी. कभी ऐसा कदम नहीं उठाना है, जिससे समाज का भला नहीं हो. असहमति को सफल परिणाम तक पहुंचाने के लिए विरोध होना चाहिए.

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