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बहादुरपुर वन कार्यालय अपने भूभाग से बेदखल

डिग्री. एक टाइटल सूट पर कोर्ट का फैसला, दिलायी दखल-दिहानी जैनामोड़ : पांच दशक से अधिक दिनों से दखल-कब्जे में चल रहे जरीडीह थानांतर्गत बहादुरपुर वन कार्यालय (बीट ऑफिस) अपने भूभाग से बेदखल हो गया. सामग्रियों को जिम्मानामा विभाग को सुपुर्द करते हुए सभी कमरों समेत मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया गया. झारखंड सरकार […]

डिग्री. एक टाइटल सूट पर कोर्ट का फैसला, दिलायी दखल-दिहानी
जैनामोड़ : पांच दशक से अधिक दिनों से दखल-कब्जे में चल रहे जरीडीह थानांतर्गत बहादुरपुर वन कार्यालय (बीट ऑफिस) अपने भूभाग से बेदखल हो गया. सामग्रियों को जिम्मानामा विभाग को सुपुर्द करते हुए सभी कमरों समेत मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया गया. झारखंड सरकार को पार्टी बनाकर की गयी एक टाइटल सूट के आलोक में तेनुघाट बेरमो व्यवहार न्यायालय से वादी को डिग्री मिल चुकी है. गत रविवार की शाम को न्यायालय की ओर से दखल-दिहानी भी दिलायी गयी़.
13 जनवरी 2013 को टाईटल सूट : गौरतलब है कि बहादुरपुर वन कार्यालय जो बहादुरपुर मौजा में खाता 11, प्लॉट 584, रकवा 81 डिसमिल पर सिविल कोर्ट तेनुघाट में (टाइटल सूट नंबर 38113) बहादुरपुर निवासी अश्विनी कुमार झा व अन्य छह लोगों ने 13 जनवरी 2013 को टाईटल सूट किया था.
इस मामले में वादी की ओर से अधिवक्ता गुरुदास अड्डी व झारखंड सरकार की ओर से अधिवक्ता अजीत कुमार लाल थे. सरकार की ओर से उपायुक्त, डीएफओ, फोरेस्टर ऑफिस जरीडीह व बहादुरपुर को पार्टी बनाया गया था.
गजट बना दावे का आधार : अधिवक्ता गुरुदास अड्डी के मुताबिक वादियों ने टाइटल सूट तब किया जबभारत सरकार ने 2011 में प्रकाशित गजट (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) में बहादुरपुर के वन विभाग के दखल-कब्जे के भूभाग को निजी किस्म का उल्लेख किया.
गजट की प्रति रिकार्ड रूम से निकाली गयी़. इसके बाद न्यायालय में टाइटल सूट दर्ज कराया गया. सूट में वन विभाग पर गत आठ वर्षों से जमीन पर अवैध रूप से दखल-कब्जा जमाये रखने का आरोप लगाया गया है.
सिविल कोर्ट तेनुघाट के सीनियर डीविजन प्रथम मनीश कुमार द्वारा सुनायी गयी फैसला तेनुघाट सिविल कोर्ट के सीनियर डीविजन (प्रथम) के सब जज मनीष कुमार के बेंच ने इस सूट पर फैसला गत 29 मई 2015 को ही सुनाया था. इसके बाद वादी ने दखल-दिहानी के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
कोर्ट ने दिलायी दखल-दिहानी : 17 सितंबर को कोर्ट के आदेश के आधार पर कोर्ट के नाजीर आशुतोष, अमीन असीत अड्डी, रेंजर अरुण कुमार, पांच प्यादा समेत अन्य की मौजूद्गी में दखल-दिहानी करायी गयी़.
पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा निर्मित पानी टंकी पर ताला जड़ दिया गया. भूभाग का सीमांकन करते हुए जमीन को अतिक्रमणमुक्त भी कराया गया. बहादुरपुर के जिन सात लोगों ने (एक ही वंशज के परिजन) कोर्ट में टाइटल सूट किया गया था, उसमें अश्विनी कुमार झा के अलावे प्रभाकर झा, सुशील कुमार झा, अनील चंद्र झा, धर्मेंद्र झा, प्रदीप कुमार झा, अधीर चंद्र झा शामिल थे़
देर शाम तक जमे रहे सिपाही : इधर, वन विभाग ने डिग्री के खिलाफ अपील की है. पेटरवार वन क्षेत्र पदाधिकारी (रेंजर) अरुण कुमार ने जिला कोर्ट में इस बाबत अपील करने की बात कही है. उन्होंने प्रभात खबर से दूरभाष पर बतचीत में कहा कि गत 50 सालों से अधिक दिनों से जमीन पर बीट ऑफिस स्थापित है.
इसका गवाह दशकों पहले बने आवास, गोदाम, 1973 में निर्मित कुआं है. सोमवार को डीग्री मिलने के बाद निर्माण कार्य को आये जेसीबी को भी वन विभाग के सिपाहियों ने लौटा दिया. सोमवार की सुबह 10 बजे से देर शाम तक बहादुरपुर में वन विभाग के कर्मी व दर्जनों सिपाही जमे रहे.

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