उन्होंने डीएवी, जेवीएम, श्यामली, रांची, लॉरेटों कॉन्वेंट, कोलकाता व सात विभिन्न केन्द्रीय विद्यालय में भी अपना योगदान दिया. 2006 में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद चिन्मय मिशन की शिक्षा विभाग से जुड़ी. 2010 से उन्होंने प्रशासक सेंट्रल चिन्मय मिशन ट्रस्ट, एजुकेशन सेल में प्रशासक के पद पर अपना योगदान दिया. वह शिक्षा के जगत में बेहतरी के लिए कई सफल प्रयास व प्रयोग कर चुकीं हैं.
लगभग 50 चिन्मय विद्यालयों में चिन्मय विजन प्रोग्राम पर कार्यशाला कर चुकीं हैं. भौतिकी में वरीय शिक्षिका ने 32 वर्षो तक शिक्षा जगत में लगातार अपना योगदान दिया. प्रवास के दौरान बच्चे, अभिभावक, शिक्षक, पूर्ववर्ती छात्र व विद्यालय प्रबंधन से विशेष रूप से मिलेंगी.