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इपीएस 95 के वास्तविक लाभ से वंचित बीएसएल के 1000 रिटायरकर्मी गोलबंद
बोकारो : इपीएस 95 का लाभ लेने के लिए बोकारो स्टील संयंत्र के 1000 रिटायरकर्मी गोलबंद हो गये हैं. सभी सुप्रीम कोर्ट में पेटीशनर बनेंगे. बुधवार को इस संबंध में वकालतनामा भी जमा किया जायेगा. फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड सेल इम्पलॉयीज इस दिशा में पहल कर रहा है. सेल स्तर पर 3500 से अधिक रिटायर कर्मी […]
बोकारो : इपीएस 95 का लाभ लेने के लिए बोकारो स्टील संयंत्र के 1000 रिटायरकर्मी गोलबंद हो गये हैं. सभी सुप्रीम कोर्ट में पेटीशनर बनेंगे. बुधवार को इस संबंध में वकालतनामा भी जमा किया जायेगा. फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड सेल इम्पलॉयीज इस दिशा में पहल कर रहा है. सेल स्तर पर 3500 से अधिक रिटायर कर्मी पेटीशनर बन रहे हैं. एसोसिएशन के महासचिव रामआगर सिंह की माने तो देश भर की विभिन्न इकाई से लगभग 12 लाख रिटायर कर्मी को इसे फायदा होगा. इस संबंध में शहर में 10 सेंटर बनाया गया है. फिलहाल कर्मियों को इपीएस 95 का वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है.
जानें क्या है इपीएस 95 : 15 नवंबर 1995 को तत्कालीन श्रम मंत्री पी ए संगमा ने अध्यादेश के जरिये कर्मचारी परिवार पेंशन योजना (इएफपीएस)-1971 की जगह इपीएस (इप्लॉयीज पेंशन स्कीम) 95 लाया. पुराने नियम में संशोधन किया गया. जहां इएफपीएस-1971 में सिर्फ विधवा को ही पेंशन देने का प्रावधान था. वहीं इपीएस 95 में कर्मचारी को भी लाभ मिलने की बात थी. इएफपीएस 91 के सदस्य स्वत: ही इपीएस 95 में शामिल हो गये. जब अध्यादेश संसद में आया तो, कुछ संशोधन किया गया. मसलन प्रति तीन साल की जगह प्रतिवर्ष पेंशन की राशि की समीक्षा की बात हुई. पेंशन को मजबूत बनाने के लिए प्रोविडेंट फंड (पीएफ) में मिलने वाली रकम नियोक्ता व कर्मी की ओर से 10-10 प्रतिशत जमा होता था, उसे बढ़ाकर 12-12 प्रतिशत कर दिया गया. इस 24 प्रतिशत में से 8.33 प्रतिशत राशि इपीएस 95 फंड में जमा करने की बात हुई. शेष 15.67 प्रतिशत राशि प्रोविडेंट फंड में जमा होने की बात हुई.
इपीएस 95 अन्य से बेहतर कैसे : इपीएस 95 में 20 साल की नौकरी करने के बाद दो साल की राशि मुफ्त में जमा होगी. 35 साल की अवधि पूरी होने पर आगे की अवधि के लिए अतिरिक्त लाभ मिलेगा, 40 साल की अवधि पूरी करने पर बेसिक+डीए का 60 प्रतिशत तक पेंशन मिलेगा. इसमें कैपिटल रिटर्न का विकल्प है. कर्मी एक तिहाई पैसा निकाल सकेंगे. यदि मालिक हिस्से का पैसा स्कीम में जमा नहीं करता है, फिर भी कर्मी को पेंशन मिलेगा. मालिक के हिस्से का पैसा की वसूली सरकार अपने अनुसार करेगी.
ब्याज दर घटने से रिटायरकर्मी को परेशानी : बीएसएल समेत कई पीएसयू सेक्टर में पेंशन स्कीम को लेकर परेशानी है. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद ग्रेच्युटी के पैसा को कर्मी विभिन्न बैंक के एमआइएस स्कीम में लगाते हैं. जमा राशि के ब्याज का पैसा उन्हें प्रत्येक माह मिलता है. लेकिन, पिछले साल ब्याज दर में आयी कमी के कारण प्रति माह मिलने वाला पैसा कम हो गया है. बीएसएल से रिटायर करने वाले कर्मी को वर्तमान में अधिकतम 2800 रुपया पेंशन मिलता है.
ऐसे समझें कहां है परेशानी
सीलिंग लगाकर हुआ खेल : आइके गुजराल व एचडी देवगौड़ा के कार्यकाल से इपीएस 95 में सिलिंग लगाने का काम हुआ. इसके अंतर्गत शुरुआत में 417 रुपया प्रतिमाह, फिर 541 रुपया व सितंबर 2014 में 1250 रुपया अधिकतम पेंशन फंड में पैसा जमा करने का आदेश दिया गया. इससे जबकि पहले बेसिक व महंगाई भत्ता का 8.33 प्रतिशत जमा करना होता है. सरकार को पीएफ फंड में 1.16 प्रतिशत राशि जमा करनी होती थी. इससे चतुर्थवर्गीय कर्मचारी व प्रथम वर्ग के अधिकारी को एक समान पेंशन मिलने लगा.
2003 में कोर्ट गया रिटायर्ड कर्मी यूनियन : सरकार के सिलिंग के विरोध में रिटायर्ड कर्मी यूनियन 2003 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के सिलिंग को खारिज कर दिया. कोर्ट ने साफ किया कि सेवा में रहते हुए विकल्प के आधार पर बेसिक+डीए का 8.33 प्रतिशत जमा कर सकते हैं. सिलिंग की बाध्यता नहीं रहेगी. सरकार ने तकनीकी आधार पर दोबारा विरोध दर्ज किया. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड सेल इम्पलॉयीज का प्रतिनिधिमंडल 2016 में श्रम मंत्री बंगारू दत्तात्रेय से मुलाकात की. मदद का आश्वासन मिला. 23 मार्च 2017 को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसला को लेकर अधीनस्थ क्षेत्रीय कार्यालय को दिशा-निर्देश जारी किया.
फिर एक्जंप्टेड ट्रस्ट के नाम पर अटका मामला : 31 मई 2017 को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अंतरिम आदेश के जरिये एक्जंप्टेड ट्रस्ट के नाम पर मामला को फिर से अटका दिया. साथ ही एक्जेमटेड ट्रस्ट में शामिल कर्मी को लाभ से वंचित कर दिया. जबकि इपीएस 95 के नियमावली में एक्जेमटेड ट्रस्ट का कोई उल्लेख नहीं है. यहां उल्लेखनीय है कि एक्जेमटेड ट्रस्ट की स्थापना सरकार के दिशा निर्देश पर होती है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का ऑडिटर इसकी जांच करता है.
एक्जेमटेड ट्रस्ट के नाम पर भी उहापोह की स्थिति : एक्जेमटेड ट्रस्ट के नाम पर जब फेडरेशन ऑफ रिटयार्ड सेल इम्पलॉई ने आरटीआइ किया, तो पता चला कि ऐसे 93 ट्रस्ट के 15560 रिटायर कर्मी को पेंशन दिया जा रहा है. जब इस संबंध में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जानकारी ली गयी, तो पता चला कि एक्जेमटेड ट्रस्ट के ऐसे कर्मियों ने पिटीशन दायर किया था. इसी कारण बोकारो के रिटायरकर्मी भी पिटीशन दायर कर रहे हैं. हालांकि, फेडरेशन का मानना है कि एक्जेमटेड व नन एक्जेमटेड ट्रस्ट में किसी प्रकार का अंतर नहीं है.
कुछ मजदूर यूनियन की गलती का खामियाजा : अध्यादेश के बाद कुछ मजदूर यूनियनों ने तल्ख रूप अपना लिया. मजदूर यूनियन सीटू के अनुसार पीएफ, ग्रेजुएटी व पेंशन सरकार दे. पेंशन फंड में कर्मचारी योगदान नहीं देगा. इस मांग को लेकर सीटू ने हड़ताल का आह्वान किया. एटक ने सीटू की पहल का विरोध किया. एटक का मानना था कि पहले नियम लागू हो जाये, उसके बाद जरूरी संशोधन किया जायेगा. लेकिन, सीटू सुप्रीम कोर्ट चली गयी.
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