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फ्रेंडशिप डे पर विशेष: दोस्ती का नाम जिंदगी, जिंदगी का नाम दोस्ती

रविवार को यानी आज फ्रेंडशिप डे है. दोस्ती हर इनसान की जिंदगी की सबसे खूबसूरत एहसास है. हर किसी की जिंदगी में दोस्ती एक अहम भूमिका अदा करती है. इस मौके पर प्रभात खबर बोकारो के वरीय संवाददाता सुनील तिवारी ने बोकारो-चास के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से उनके बेस्ट फ्रेंड और उनके रोचक व […]

रविवार को यानी आज फ्रेंडशिप डे है. दोस्ती हर इनसान की जिंदगी की सबसे खूबसूरत एहसास है. हर किसी की जिंदगी में दोस्ती एक अहम भूमिका अदा करती है. इस मौके पर प्रभात खबर बोकारो के वरीय संवाददाता सुनील तिवारी ने बोकारो-चास के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से उनके बेस्ट फ्रेंड और उनके रोचक व रोमांचक यादों के बारे में बात की.
तेरे जैसा यार कहां…
मंटु यादव व दिलीप दुर्गा
कुर्मीडीह-बालीडीह निवासी मंटु यादव झामुमो बोकारो महानगर अध्यक्ष हैं. रेलवे कॉलोनी बोकारो निवासी दिलीप दुर्गा बोकारो रेलवे में कर्मी हैं. मंटु ने बताया : दिलीप से वर्ष 1994 से दोस्ती है. दिलीप घर के सुख-दुख से लेकर राजनीति के हर मोड़ का सच्चा साथी है. तमाम व्यस्तता के बाद भी दिन में कई बार बात होती है. लगभग दो वर्ष पहले की बात है. मैं रायपुर गया था. इस बीच घर पर अचानक मेरी मां तबीयत खराब हो गयी. दिलीप को सूचना मिली तो उसने सभी व्यवस्था कर मां को अस्पताल पहुंचाया. जब मां की तबीयत में कुछ सुधार हुआ तो कुछ घंटे बाद उसने मुझे इसकी जानकारी मोबाइल से दी. दिलीप मेरे लिए परिवार के सदस्य से बढ़ कर है.
सलामत रहे दोस्ताना हमारा…
रंजन कुमार गुप्ता व मनीष केजरीवाल
रंजन कुमार गुप्ता ‘दी सिटी सेंटर ट्रेडर्स एसोसिएशन’ के महासचिव हैं. मनीष केजरीवाल सिटी सेंटर के व्यवसायी हैं. रंजन ने बताया : मनीष के साथ लगभग 20 वर्ष से दोस्ती है. मनीष मेरे लिए हर समय उपलब्ध रहता है. चाहे घर-परिवार का सुख-दुख हो या फिर बिजनेस का उतार-चढ़ाव. मनीष का सहयोग हर मोड़ पर मिलता है. एक बार हम दोनों बिजनेस के सिलसिले में कोलकाता गये थे. वापस लौटते समय एक ही ट्रेन में दोनों का रिजर्वेशन था. मनीष पहले स्टेशन पहुंच गया था. ट्रेन में अपना सामान भी रख दिया था. मुझे बार-बार फोन कर रहा था. तब तक ट्रेन खुलने की घोषणा हो गयी. मनीष ने ट्रेन से अपना सामान उतार लिया और ट्रेन छोड़ दी. उसका कहना था कि वापस हर हाल में साथ ही लौटेंगे.
कोई जब राह न पाये, मेरे संग आये…
चंद्रिमा रे व अमृता दर्शी
सेक्टर 1 सी निवासी चंद्रिमा रे सेक्टर-1 स्थित संत जेवियर्स स्कूल में अंगरेजी की शिक्षिका हैं. अमृता दर्शी पति के बिजनेस में हाथ बंटाती हैं. चंद्रिमा ने बताया : हमारी दोस्ती क्लास प्रेफ से ही है. स्कूल-कॉलेज होते हुए आज भी दोस्ती बरकरार है. आज वह दिल्ली में रहती है. फिर भी, साल में एक बार में वह मेरे घर आती है कुछ दिनों के लिए. मैं अभी हाल में ही दिल्ली में उसके पास रह कर आयी हूं. अब वह मेरी दोस्त नहीं, परिवार की सदस्य बन गयी है. हमारे बीच कोई हिचकिचाहट नहीं होती. मैं कोई भी बात या टेंशन होने पर उससे बात करती हूं और वह भी मुझसे सलाह लेती है.
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…
सीमा अग्रवाल व सुनीता मलानी
सिटी सेंटर सेक्टर-4 निवासी सीमा अग्रवाल आर्ट ऑफ लिविंग-बोकारो की प्रशिक्षक हैं और चास निवासी सुनीता मलानी गृहिणी हैं. सीमा ने बताया : जब से बोकारो आयी, तब से सुनीता से दोस्ती है. 18 वर्ष से हम एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी हैं. मुझे कोई नया काम करना होता है, सबसे पहले सुनीता को ही बताती हूं. घर-बाहर के सभी कामों में वह मेरे साथ होती है. सुनीता मेरे लिए फैमिली मेंबर से भी बढ़ कर है. तीन वर्ष पहले हमें एक शादी समारोह में जाना था. जिस दिन बोकारो से निकलना था, उसी दिन मेरी शादी की वर्षगांठ थी. इसलिए तैयारी के कारण हम लोगों ने वर्षगांठ पर कोई कार्यक्रम नहीं रखा था. लेकिन, उस दिन सुनीता अचानक केक व मिठाई लेकर पहुंच गयी. हमें स्पेशल फील कराया.
यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिंदगी…
कमल कुमार सिन्हा व रंजीत गिरी
केके सिंह कॉलोनी चीरा चास निवासी कमल कुमार सिन्हा आयकर अधिवक्ता हैं. सेक्टर-12 निवासी रंजीत गिरि सिविल कोर्ट-बोकारो में अधिवक्ता हैं. कमल ने बताया : रंजीत जितना मेरे प्रति समर्पित रहते हैं, उतना हीं मैं उनके प्रति समर्पित रहता हूं. 15 वर्ष से हम दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी हैं. हम दोनों दोस्ती निभाने पर विश्वास करते हैं. कुछ साल पहले बीजीएच में मेरे रिश्तेदार को एडमिट करना था. उस दिन बैंक बंद था. बहुत परेशान था. मैं बीजीएच में नहीं था. रंजीत जी को किसी तरह इसकी जानकारी मिल गयी तो उन्होंने तुरंत बीजीएच पहुंच गये. बिना मुझे कोई जानकारी दिये पैसा जमा करा दिया. रिश्तेदार का इलाज शुरू हो गया. बाद में मुझे जानकारी मिली. सचमुच, दोस्त हो तो ऐसा…
तेरी मेरी यारी, ये दोस्ती हमारी…
संजीव कुमार व बृजमोहन
सेक्टर-12 निवासी संजीव कुमार चिन्मय विद्यालय में खेल प्रशिक्षक हैं. चीरा चास निवासी बृजमोहन चिन्मय विद्यालय में ही कंप्यूटर टीचर हैं. संजीव बताते है : 2006 से बृजमोहन से दोस्ती है. सुबह की शुरुआत और दिन का अंत बिना बृजमोहन से बात किये नहीं होती है. हम दोनों के विचार मिलते हैं. एक-दूसरे को समय-समय पर अच्छी सलाह भी देते हैं. एक बार बृजमोहन के पिता की तबीयत अचानक खराब हो गयी. मुझे लगा उसे मेरी जरूरत है. कुछ लोग उसके घर गये, जबकि मैं कुछ दोस्तों को लेकर सीधे बोकारो जेनरल अस्पताल पहुंच गया. कुछ देर बाद मालूम हुआ कि बृजमोहन अपने पिता को लेकर बीजीएच ही आ रहा है. बीजीएच में मुझे देख कर उसका आत्मविश्वास बढ़ गया.
याराना, यार का न कभी छूटेगा…
डॉ रवि शेखर व वीपी सिंह
डॉ रवि शेखर सरकारी अस्पताल (अनुमंडलीय अस्पताल चास) में शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. वीपी सिंह सेक्टर चार में व्यवसायी हैं. डॉ शेखर ने बताया : वीपी सिंह से दोस्ती के 12 वर्ष हो गये. हमारी दोस्ती में जो ताजगी उस वक्त थी, वही आज भी है. मैं जब बोकारो आया तो वीपी सिंह से ही परिचय हुआ. परिचय अटूट दोस्ती में बदल गयी. हर मुसीबत के समय वीपी सिंह ने मेरा साथ दिया. आज भी कोई समस्या होने पर मैं वीपी से ही सलाह-मशविरा करता हूं. जब तक जीवित हूं, हर कदम पर वीपी का साथ निभाऊंगा. आज भी हर दिन हम दोनों साथ में सुबह-सुबह टहलते हैं. देर होने पर एक-दूसरे के लिए चिंतित रहते हैं.

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