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पुत्रों में राजनीतिक भविष्य खोज रहे नेता

रांची: राजनीति में वंशवाद कोई नयी परंपरा नहीं है. देश में कई ऐसे परिवार हैं, जिसमें पिता के बाद बेटे ने कमान संभाली है. पहले यह परंपरा कुछ दलों तक सीमित थी. अब अधिक तर दलों में यह परंपरा देखने को मिल रही है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं रहा है. यहां शिबू सोरेन के […]

रांची: राजनीति में वंशवाद कोई नयी परंपरा नहीं है. देश में कई ऐसे परिवार हैं, जिसमें पिता के बाद बेटे ने कमान संभाली है. पहले यह परंपरा कुछ दलों तक सीमित थी. अब अधिक तर दलों में यह परंपरा देखने को मिल रही है.

झारखंड भी इससे अछूता नहीं रहा है. यहां शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं. नेता अपने बेटों में राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं. आगामी लोकसभा चुनाव में भी अपनी जगह बेटों को टिकट दिलाने के लिए नेता खुल कर सामने आये. इनमें से कुछ नेता तो ऐसा कराने में सफल भी रहे. भाजपा सांसद यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग संसदीय सीट से अपने बेटे जयंत सिन्हा को टिकट दिलाया. साइमन मरांडी ने अपने बेटे दिनेश विलियम मरांडी को टिकट दिलाने को लेकर खुल कर अपनी नाराजगी जाहिर की है.

पार्टी पर दबाव भी बनाये हुए हैं. थॉमस हांसदा के बेटे विजय हांसदा ने कांग्रेस पार्टी छोड़ झामुमो का दामन थाम लिया है. पार्टी ने उन्हें राजमहल सीट से उम्मीदवार बनाया है. विधायक ददई दुबे भी अपने पुत्र अजय दुबे को चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पायी. हजारीबाग विधानसभा सीट में राजपरिवार का दबदबा रहा है. फिलहाल इस सीट पर राज परिवार के सौरभ नारायण सिंह विधायक हैं.

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