रांची: पश्चिम बंगाल के चंदन नगर रेलवे स्टेशन के समीप से गिरफ्तार लवकुश पढ़ने-लिखने वाला छात्र था. वह कैसे अपराधी बना, इस बात का खुलासा उसने स्वीकारोक्ति बयान में किया है. लवकुश का स्वीकारोक्ति बयान पुलिस ने उसे जेल भेजने से पहले तैयार किया है. इसके अनुसार वर्ष 2004 में लवकुश के बड़े भाई विपिन शर्मा को बरियातू पुलिस ने अपहरण के एक केस में जेल भेजा था.
विपिन शर्मा के जेल जाने के बाद उसके दोस्त के साथ लवकुश रहने लगा. लवकुश अपने भाई से मिलने जेल जाता था, जहां उसकी दोस्ती कुछ अन्य अपराधियों के साथ हुई. 2007 में बरियातू हाउसिंग कॉलोनी में एक डकैती की घटना हुई थी. इस घटना में पुलिस ने संदेह के आधार पर लवकुश को पकड़ा था, लेकिन बाद में उसे पीआर बांड पर छोड़ दिया गया था. इस तरह धीरे-धीरे लवकुश अपराधियों के संपर्क में आकर अपराधी बन गया.
वर्ष 2010 में लवकुश की पहचान के एक व्यक्ति अनिल सिंह की बाइक कुछ लोगों ने जबरन खूंटी में रख ली. तब लवकुश अनिल सिंह, चंदन और दीपू के साथ खूंटी गया. उसने बाइक रखनेवाले के साथ मारपीट की. वह खूंटी से दो लोगों का अपहरण कर रांची आ रहा था. बीच रास्ते में 10 माइल के पास तुपुदाना पुलिस ने उसे दूसरे सहयोगियों के साथ पकड़ कर खूंटी पुलिस को सौंप दिया. खूंटी से अपहरण के केस में जेल जाने के 24 दिन बाद वह जमानत पर निकला. दोबारा वर्ष 2010 में बरियातू थाना से वह आर्म्स एक्ट के केस में सुनील यादव, चंदन मिर्धा और प्रमोद के साथ जेल गया.
जेल में लवकुश का झगड़ा अमित सिंह उर्फ पाड़ा के साथ हुआ था. अमित सिंह जब जमानत पर बाहर निकला, तब लवकुश भी जमानत पर बाहर निकल चुका था. जेल में हुए झगड़ा का बदला लेने के लिए लवकुश ने रिम्स के समीप अमित सिंह की हत्या कर दी. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. उसने जेल से बरियातू थाना क्षेत्र निवासी सचिन खन्ना को 2011 में रंगदारी के लिए फोन किया. वह जेल में करीब 20 माह रहने के बाद वर्ष 2013 में जमानत पर बाहर निकला और जमीन के कारोबार से जुड़ गया. जमीन कारोबार को लेकर उसका विवाद विरोधी गुट अनुज नाथ स्वर्णकार और उसके सहयोगियों के साथ हुआ. इसी विवाद में उसने अनुज की हत्या कर दी.
हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद वह हजारीबाग भाग गया. वहां से वह अपने गांव अरवल चला गया. लवकुश ने बताया कि अरवल में रहने के दौरान फेसबुक के जरिये उसकी दोस्ती बड़े अपराधी सुजीत सिन्हा के साथ हुई. सुजीत सिन्हा के कहने पर ही उसने सोनू शर्मा के जरिये इंजीनियर समरेंद्र को एक करोड़ रुपये रंगदारी के लिए फोन करवाया. लवकुश ने बताया कि उसे एनआइबीएम के संचालक से रंगदारी मांगने के लिए बरियातू निवासी पंकज लाल दास ने नंबर उपलब्ध कराया था.