रांची: माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी तैयारी में जुट गयी है. मुद्दों को लेकर वाम दलों को एकमत करने का प्रयास किया जा रहा है. कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों से भी बातचीत की जा रही है. थर्ड फ्रंट को लेकर पिछले वर्ष अक्तूबर माह में 17 दलों की बैठक नयी दिल्ली में हुई थी. इसमें भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया था.
पिछले पांच साल में यूपीए ने देश को बरबाद कर दिया. भ्रष्टाचार और महंगाई चरम पर है. कांग्रेस और भाजपा की नीतियों में कोई अंतर नहीं है. श्रीमती करात मंगलवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रही थी. वह पांच दिनों से झारखंड दौरे पर हैं. पांच फरवरी को सोनाहातू में जिंदल भगाओ रैली में हिस्सा लेंगी.
उन्होंने कहा कि झारखंड में नरेगा फेल है. युवाओं के लिए कोई नीति नहीं बनायी गयी है. इस कारण यहां महिलाओं और युवाओं का पलायन हो रहा है. सरकार ने धान खरीद केंद्र नहीं बना कर किसानों को कम दाम पर अनाज बेचने को मजबूर किया है. झारखंड में खाद्यान्न के रख-रखाव का कोई सिस्टम नहीं है. इस कारण किसान भी परेशान हैं. थर्ड फ्रंट का नेता कौन होगा, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नेता नहीं, नीतियों पर विचार किया जा रहा है. चुनाव होने के बाद नेता चुन लिया जायेगा.
झारखंड में नीति व सिद्धांत विहीन सरकार
वृंदा ने कहा कि झारखंड में नीति और सिद्धांत विहीन सरकार है. गंठबंधन सरकार में दलों के राय और मत अलग-अलग हैं. जनता के लिए तैयार किये गये न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर काम नहीं हो रहा है. यही वजह है कि सरकार का हर पहिया पंचर हो रहा है.
तानाशाही रुख अपना रहीं ममता
श्रीमती करात ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से यशोदरा बागची की किताब पर सेंसरशिप लगाने के फैसले की निंदा की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुद्धिजीवियों पर तानाशाही रुख अपना रही हैं. बागची ने अपनी पुस्तक में महिला समस्याओं को रेखांकित किया है. बंगाल की जनता ममता बनर्जी के काम से असंतुष्ट है. आनेवाले चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा.