झारखंड में थानेदारों का औसत कार्यकाल 11 माह नौ दिन का है. राज्य में कुल 427 थाने हैं. सैंपल के तौर पर प्रभात खबर ने 123 थानों का सर्वे किया. सर्वे के नतीजे चौंकानेवाले हैं. एक जनवरी 2010 से एक जनवरी 2014 के बीच 123 थानों में 521 थानेदार बनाये गये. मतलब चार साल में हर थाने में औसतन चार से अधिक थानेदार पदस्थापित किये गये. सरकारी नियम के अनुसार थानेदारों का कार्यकाल दो साल तय है.
रांची:झारखंड के थानेदारों का एक थाने में औसत कार्यकाल 11 माह नौ दिन का है. यानी राज्य में 344 दिनों में ही थानेदारों का ट्रांसफर हो रहा है. सरकारी नियम के अनुसार, थानेदारों का एक थाने में कार्यकाल दो साल तय है. पर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उससे पता चलता है कि जिलों के एसपी जब तब थानेदारों को बदल दे रहे हैं. तबादले के लिए बने किसी भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है. सूचना है कि दो साल से पहले थानेदारों का तबादला करने के लिए एसपी अपने डीआइजी से अनुमति भी नहीं लेते. बिना वजह थानेदारों को सस्पेंड कर नये थानेदार की पोस्टिंग करते है, ताकि डीआइजी से अनुमति न लेनी पड़े.
चतरा, लातेहार में सबसे कम टिकते हैं थानेदार : प्रभात खबर की ओर से किये गये सर्वे में शामिल किये गये 123 थानों में से नौ थानों में चार साल में सात- नौ बार थानेदार बदले गये. सर्वे में यह बात सामने आयी है कि देवघर में थानेदार का औसत कार्यकाल 11 माह, पाकुड़ में 10 माह, साहेबगंज में 11 माह, जामताड़ा में 13 माह सात दिन और दुमका में 12 माह 28 दिन है. इसी तरह जमशेदपुर में एक थानेदार का औसत कार्यकाल एक साल, सरायकेला में एक साल पांच माह, लातेहार में नौ माह, चाईबासा में एक साल, रांची में 11 माह 18 दिन, हजारीबाग में नौ माह 15 दिन, रामगढ़ में 12 माह 16 दिन, गिरिडीह में नौ माह 17 दिन है. वहीं, चतरा में नौ माह, बोकारो में नौ माह 17 दिन और धनबाद में 11 माह पांच दिन का कार्यकाल है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
प्रकाश सिंह बनाम राज्यों की सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि फील्ड अफसर (थाना प्रभारी से लेकर आइजी तक) का कार्यकाल दो साल का होगा. इससे पहले जरूरत पड़ने पर थानेदारों का तबादला करने के लिए डीआइजी की अनुमति लेना जरूरी है.