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राज्य का हर दूसरा बच्‍चा कुपोषित

रांची: राज्य में सबसे अधिक कुपोषण लातेहार, साहेबगंज, खूंटी और कोडरमा जिले में है. समेकित बाल विकास परियोजना का लाभ 0-3 वर्ष के 61 प्रतिशत बच्चों को ही मिल रहा है. 39 फीसदी बच्चे अभी भी आंनबाड़ी सेवा से वंचित है. वजन वृद्धि चार्ट के अनुसार 45.3 प्रतिशत बच्चे अल्प वजन और 20.4 प्रतिशत बच्चे […]

रांची: राज्य में सबसे अधिक कुपोषण लातेहार, साहेबगंज, खूंटी और कोडरमा जिले में है. समेकित बाल विकास परियोजना का लाभ 0-3 वर्ष के 61 प्रतिशत बच्चों को ही मिल रहा है. 39 फीसदी बच्चे अभी भी आंनबाड़ी सेवा से वंचित है. वजन वृद्धि चार्ट के अनुसार 45.3 प्रतिशत बच्चे अल्प वजन और 20.4 प्रतिशत बच्चे अति अल्प वजन हैं. एमयूएसी टेप के अनुसार 7.6 प्रतिशत बच्चे लाल श्रेणी में हैं. कुपोषण दूर करने में समेकित बाल विकास परियोजना अधिक सफल साबित नहीं हुई है.

यह जानकारी कैंपेन फॉर राइट टू एजुकेशन इन झारखंड (क्रेज) द्वारा 12 जिलों में कराये गये सर्वे में सामने आये हैं. मंगलवार को क्रेज के जेरोम जेराल्ड कुजूर व सौरभ कुमार ने क्रेज व क्राई, कोलकाता की ओर से ‘कुपोषण मुक्त झारखंड’ पर आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन में सर्वेक्षण का नतीजा जारी किया. आयोजन एसडीसी सभागार में किया गया. इस अवसर पर क्राई, कोलकाता के जोनल मैनेजर महुआ चटर्जी ने कहा कि झारखंड का हर दूसरा बच्चा कुपोषित है. यही स्थिति झारखंड बनने के समय भी थी. आंगनबाड़ी के माध्यम से जो सुविधाएं दी जा रही हैं, वे गुणवत्तापूर्ण नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट कमिश्नर के राज्य सलाहकार बलराम ने कहा कि समेकित बाल विकास परियोजना हजारों करोड़ रुपये का व्यवसाय बन गया है. इसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है. यूनिसेफ की दीपिका शर्मा ने कहा कि जिस दिन लोग अपने बच्चों के वजन की जानकारी रखने लगेंगे, उस दिन से परिवार व राज्य से कुपोषण की समस्या समाप्त हो जायेगी. झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ सुनिता कात्यायन ने कहा कि राज्य के लोग बाल अधिकारों के हनन के मामलों का विरोध करें. डॉ सुरंजन कुमार ने कहा कि आज 40 फीसदी बच्चे आंनबाड़ी सुविधा से वंचित हैं. समाज कल्याण विभाग आंनबाड़ी सुविधा को शतप्रतिशत बच्चों तक क्यों नहीं पहुंचा पाता?

राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के सदस्य गणोश रेड्डी ने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए समाज कल्याण विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार आपूर्ति के लिए विज्ञापन निकाला है. इसमें कहा गया है कि ठेका के लिए बोली में शामिल होने के लिए बड़ी कंपनियों को पांच करोड़ व स्वयं सहायता समूह व महिला मंडल को 1.25 करोड़ रुपये जमा करने होंगे.

सेव द चिल्ड्रेन के महादेव हांसदा ने कहा कि जब तक समाज में कुपोषित बच्चे रहेंगे, तब तक अच्छे नागरिक बनने-बनाने की कल्पना नहीं कर सकते. सम्मेलन में कुपोषण क्या है, कुपोषण को कैसे पहचानें, इससे होनेवाले असर, समाधान के तरीके क्या होने चाहिए समेत कई विषयों पर चर्चा हुई. इसमें सुशांतो चक्रवर्ती, अभिजीत मुखर्जी, कालेश्वर मंडल, इन्द्रमणि साहू, बैद्यनाथ, जीवन जगन्नाथ, तारा क्रांति, फैसल अनुराग, प्रवीण कुमार, राकेश किड़ो, अभय, लखी दास, दीनानाथ, प्रभा जयसवाल, मनोरमा एक्का, उद्देश्वर कुमार, एनसीपीसीआर के गणोश रेड्डी सहित राज्य के 18 जिलों से आये पंचायत प्रतिनिधि, आंनबाड़ी सेविका, सहायिका, माता समिति की सदस्याएं, लाभुक व विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए.

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