रांची: बुधवार को राज्यभर में बैंकों में हड़ताल रही. झारखंड में 60 हजार बैंककर्मी काम पर नहीं आये. झारखंड स्थित बैंकों के क्षेत्रीय कार्यालयों के सामने बैंककर्मियों ने सुबह से ही प्रदर्शन शुरू कर दिया. यहां अपनी मांगों के पक्ष में बैंककर्मी नारेबाजी कर रहे थे. सुबह के समय कईएटीएम के शटर भी गिरे हुए थे, जो शाम को फिर से खुल गये.
250 करोड़ का कारोबार प्रभावित : बैंकों में एक दिन की बंदी से राज्य में करीब 250 करोड़ रुपये का बैंकिंग कारोबार प्रभावित हुआ. रोजाना बैंकों में औसतन 100 करोड़ रुपये का जमा व ऋण के रूप में लेन-देन होता है. हर दिन 30 हजार चेक क्लियरिंग के लिए आते हैं. इनसे लगभग 150 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होता है. बंद के कारण सारा लेन-देन ठप रहा. गुरुवार को बैंकों को खुलने के बाद स्थिति को सामान्य होने में कम से कम तीन दिन का समय लगेगा. बैंक हड़ताल का सीधा असर व्यापारियों व लोगों को कामकाज पर भी पड़ा. न ही ड्राफ्ट बन सके और न ही किस्त की राशि जमा हो पायी.
वेतन समझौते पर बनी हुई है जिच : सभी बैंक संगठनों के संयुक्त संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस द्वारा यह हड़ताल बुलायी गयी है. यूनियन के अनुसार, आइबीए व सरकार द्वारा 10वें वेतन समझौते में टालमटोल की नीति, बैंकिंग कानून में सुधार के विरुद्ध यह बंद बुलाया गया है. साथ ही कॉस्ट टू कंपनी व वेरिएबल पे के मामले पर 14 दिसंबर की वार्ता भी नकारात्मक रही है.
पांच दिन बैंकिंग पर भी सरकार सहमत नहीं है. अनुकंपा के आधार पर नौकरी का मामला भी सरकार के पास विचाराधीन है. नाबार्ड के निदेशक मंडल में निजी क्षेत्र से लोगों को लेने का प्रयास किया जा रहा है. को-ऑपरेटिव बैंक में कार्यरत 2.20 लाख कर्मचारियों के पद को समाप्त करने की साजिश चल रही है. इन सुधारों के कारण ही एनपीए व डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ रही है. यूनियन के सदस्यों ने कहा कि हड़ताल के बाद भी मांग नहीं मानी गयी, तो यूनियन आंदोलन तेज करेगी. रैली की सफलता के लिए यूनियन के नेताओं ने सभी का आभार जताया. इसमें एआइबीइए के वाइपी सिंह, एआइबीओए के साधन दास, बेफी के एमएल सिंह, एनसीबीइ के राजेश त्रिपाठी, एआइबीओसी के एसके पाठक तथा एसबीआइओए के एलएम उरांव शामिल हैं.