-पीयूष मिश्र-
रांची: कभी-कभी इनसान इतना मजबूर हो जाता है कि वह लाख चाह कर भी कुछ कर नहीं पाता है. कुछ ऐसी ही स्थिति में है धुर्वा की रहनेवाली ज्योति. 22 साल की ज्योति नि:शक्तता की शिकार है.
उसकी लंबाई मात्र 37 इंच है, जिसके कारण वह सामान्य जीवन जीने में असमर्थ है. ज्योति काफी गरीब परिवार से है, इसलिए उसकी पढ़ाई भी पूरी नहीं हो सकी. ज्योति के पिता सुधीर प्रसाद पेशे से मजदूर हैं, इसलिए परिवार का गुजारा काफी मुश्किल से हो पाता है. अपनी बेटी को संबल, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए ज्योति के पिता ने उसके लिए विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने का काफी प्रयास किया, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है.
प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कई बार चढ़ावा भी चढ़ाया, लेकिन इससे भी काम नहीं हुआ. ज्योति की एक छोटी बहन (10वीं की छात्र) और छोटा भाई (12वीं का छात्र) भी हैं. ज्योति की मां बेबी देवी गृहिणी हैं. परिवार की तंगी के कारण ज्योति का बेहतर इलाज भी नहीं हो पा रहा है. अपनी इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए ज्योति कहती है कि एक तो कुदरत ने उसे असामान्य कद देकर मजाक किया है, वहीं इनसान भी उसका साथ नहीं दे रहे हैं. अगर उसे सरकार की ओर से कोई सहायता मिलती, तो शायद वह भी अपने अरमानों को पूरा कर सकती है.