रांची: नक्सलियों के लिए बना झारखंड जगुआर (जेजे) अब डंपिंग ग्राउंड नहीं रहेगा. किसी पदाधिकारी को दंडित करने के लिए जेजे में पोस्टिंग नहीं दी जायेगी. डीजीपी राजीव कुमार ने राष्ट्रपति शासन में सलाहकार रहे के विजय कुमार के निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है.
सलाहकार के विजय कुमार ने जेजे को लेकर डीजीपी को पत्र दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जेजे को ग्रे-हाउंड की तर्ज पर विकसित किया जाये. इसके पदस्थापित जवानों व पदाधिकारियों की पोस्टिंग दो साल के बजाय तीन साल के लिए हो. पोस्टिंग में इस बात का ध्यान रखा जाये कि जिन्हें दंडित करना हो, उन्हें यहां स्थानांतरित किया जाये. इसे डंपिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल न किया जाये.
आइपीएस या हर रैंक पर नियुक्त होनेवाले कर्मियों की पहली पोस्टिंग जेजे में ही हो. डीजीपी के आदेश के मुताबिक जेजे के असॉल्ट ग्रुप में शामिल पदाधिकारियों व पुलिसकर्मियों की संख्या में भी कमी की जायेगी. अभी एक असॉल्ट ग्रुप में एक डीएसपी, एक इंस्पेक्टर, तीन दारोगा, छह हवलदार समेत 79 पुलिसकर्मी होते हैं. इसकी संख्या 40 करने पर काम हो रहा है. अभी जेजे में 25 असॉल्ट ग्रुप है. 4000 स्वीकृत बल के विरुद्ध 2100 पुलिसकर्मी पदस्थापित हैं. इसके अलावा जेजे का अपना ह्यूमन व टेक्नीकल विंग होगा, जो भाकपा माओवादी के बड़े नेताओं को ट्रैक कर पकड़ेंगे या मार गिरायेंगे.