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जल, जंगल, जमीन व भाषा बचायें

रांची: विश्व आदिवासी दिवस पर राजधानी में आदिवासियों ने जल, जंगल, जमीन, संस्कृति व भाषा बचाने का संकल्प लिया. झारखंड इंडिजीनस पीपुल्स फोरम की ओर से पुरुलिया रोड स्थित संत जोसेफ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने शिरकत की. कार्यक्रम के दौरान स्मारिका ‘आदिवासी भाषाएं, परिस्थितियां एवं संभावनाएं’ का लोकार्पण […]

रांची: विश्व आदिवासी दिवस पर राजधानी में आदिवासियों ने जल, जंगल, जमीन, संस्कृति व भाषा बचाने का संकल्प लिया. झारखंड इंडिजीनस पीपुल्स फोरम की ओर से पुरुलिया रोड स्थित संत जोसेफ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने शिरकत की. कार्यक्रम के दौरान स्मारिका ‘आदिवासी भाषाएं, परिस्थितियां एवं संभावनाएं’ का लोकार्पण भी किया गया. साथ ही सरकार के समक्ष 11 सूत्री मांग पत्र पेश किया गया. आयोजन में सुनील मिंज, वंदना टेटे, अरुण तिग्गा, राकेश रोशन किड़ो, जेवियर कुजूर, डॉ शांति खलखो, बरखा लकड़ा, रोजालिया तिर्की आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

अंतरजातीय विवाह से नुकसान : पौलुस सुरीन
इस मौके परविधायक पौलुस सुरीन ने कहा कि आदिवासियों की पहचान शोषित व बेदखल लोग जैसी रह गयी है. पढ़े-लिखे आदिवासी अपने समाज के हित के बारे में सोचें. युवा वर्ग अपनी भाषा, संस्कृति, रीति- रिवाज, पहचान व संस्कार की बातों से दूर न जाये. चुनाव के समय हड़िया- दारू पर बिकने से विधानसभा में हमारी आवाज दब जाती है. पेसा कानून से ही आदिवासियों को हक मिलेगा. अंतरजातीय विवाह को मान्यता देने से आदिवासी समाज को नुकसान हुआ है. राज्य की नौकरियों में दूसरे राज्य के लोगों को मात्र पांच-छह फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए.

हर भाषा के विकास के लिए अलग बजट : बंधु
विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई प्राइमरी स्तर से शुरू होनी चाहिए. हर भाषा के विकास के लिए अलग बजट का प्रावधान हो. राज्य में 28 आदिवासी विधायक हैं, पर जनजातीय परामर्शदातृ समिति और आदिवासियों का हाल बेहाल है. ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि आदिवासी बौद्धिक स्तर पर पिछड़ रहे हैं, जबकि चुनौतियों का सामना इसी से हो सकता है. डॉ रोज केरकेट्टा, आरती कुजूर, ज्योति लकड़ा, कोदरुला कुजूर ने भी विचार रखे.

समाज के पांच विशिष्ट जन सम्मानित
अमृत पीयूष कुमार बेक (पुलिस सेवा), शिवा कच्छप (जनांदोलन), सुषमा कुमारी असुर (साहित्य), कोर्नेलियुस मिंज (पत्रकारिता) व सिलबानुस डुंगडुंग (खेलकूद).

जब तक पेसा, तब तक आदिवासी जिंदा

रांची: पेसा है, तभी आदिवासी जिंदा है. अगर यह कानून नहीं रहा तो आदिवासियों को खात्मा हो जायेगा. आदिवासी की जीविका जमीन पर निर्भर है, लेकिन आज जमीन उनके हाथ से निकलती जा रही है. राज्य की राजधानी रांची में अब आदिवासियों की जमीन नहीं के बराबर बच गयी है.

आदिवासी अल्पसंख्यक होते जा रहे है. यह बातें विश्व आदिवासी दिवस पर विकास भारती के सिदो कान्हू सभागार में राष्ट्रीय जनजातीय आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष बंदी उरांव ने कहीं. उन्होंने कहा कि आदिवासी के विकास एवं उत्थान के लिए 17 साल पहले पेसा कानून बनाया गया, लेकिन इसकी जानकारी आज भी आदिवासी समाज को नहीं है. जानकारी के अभाव में आदिवासी अपने हक और अधिकार से वंचित हैं. इस कानून के क्रियान्वयन के लिए आदिवासी समुदाय को एकजुट होकर प्रयास करना होगा.

विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस को अब सरकार ने भी स्वीकार लिया है. परंपरा एवं अधिकार की जानकारी कराने के लिए पेसा कानून बनाया गया है. पंचायत सभा को मजबूत कर ही हम पेसा कानून का सही से क्रियान्वयन कर सकते हैं.

कार्यक्रम में यूनिसेफ राज्य प्रमुख श्री जॉब जकारिया ने कहा झारखंड में 90 लाख आदिवासी हैं. 65 प्रतिशत आदिवासी लड़कियां एवं 85 प्रतिशत आदिवासी महिलाएं कुपोषित हैं. 15 से 19 वर्ष की केवल पांच प्रतिशत बालिकाएं विद्यालय जाती हैं. पूर्व सूचना आयुक्त गंगोत्री कुजूर, बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष रूपलक्ष्मी मुंडा,सहायक वन संरक्षक सत्यजीत नेगी, मीरा मुंडा ने भी अपने विचार रखे. मुख्य अतिथि एवं विभिन्न जिला से आये प्रतिनिधियों को विकास भारती ने सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के तहत पेसा कानून एवं वन अधिकारिता अधिनियम विषय पर विशेष चर्चा की गयी. शिवशंकर उरांव ने कार्यक्रम का संचालन किया.

झारखंड की प्रतिभाओं को सरकार ने किया सम्मानित
आदिवासी दिवस पर राजधानी में कई कार्यक्रम हुए. आदिवासियों के हक व अधिकार की आवाज बुलंद की गयी. मुख्य कार्यक्रम बिरसा मुंडा स्टेडियम, मोरहाबादी में हुआ, जहां केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश, सांसद सुबोधकांत सहाय, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन, राजेंद्र सिंह समेत कई गणमान्य लोगों ने शिरकत की. इस मौके पर झारखंड के कलाकारों ने अपनी मोहक प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया. केंद्रीय मंत्री जयराम भी खुद को रोक नहीं पाये और बजाने लगे नगाड़ा. फिर गुरुजी भी कहां रुकनेवाले थे.

रांची: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बिरसा मुंडा स्टेडिय में राज्य के प्रतिभावान खिलाड़ियों और मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और पूर्व केंद्रीय मंत्रीय सुबोधकांत सहाय ने प्रतिभाओं को सम्मानित किया. इस मौके पर ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह, मानव संसाधन मंत्री गीताश्री उरांव, पर्यटन मंत्री सुरेश पासवान, नगर विकास मंत्री जयप्रकाश भाई पटेल, मुख्य सचिव आरएस शर्मा, अपर मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद, मंत्रिमंडल सचिव जेबी तुबिद, समाज कल्याण सचिव मृदुला सिन्हा, परिवहन सचिव सुरेंद्र सिंह, उपायुक्त विनय चौबे मौजूद थे.

खेल : हॉकी खिलाड़ी बिगन सोय के अलावा स्पेन में कांस्य पदक जीत कर लौटी महिला फुटबॉल टीम की खिलाड़ी रेणु, आशा, सुषमा, पुष्पा कुमारी, पुष्पा, शिवानी टोप्पो, मनीषा तिर्की, लक्ष्मी तिर्की, नीता, शारडा, पुनम, कुसुम, सोनी, मीना, सुप्रिया समेत कुल 18 युवतियों को नकद राशि और किट दिये गये.

प्रगतिशील किसान : श्यामल मरांडी, अमरनाथ साबर, राम केवल उरांव, आदे बोंदा टोप्पो, विनोद केरकेट्टा, सुनील तिर्की, मछिंद्र लकड़ा, अंकिता होरो, आश्रिता होरो, करमा उरांव, सहानू उरांव, सुखदेव उरांव, बिरसा धान, जुवेल एक्का.

मेधावी विद्यार्थी : सूरज प्रताप सिंह, सूर्य प्रकाश कुजूर, अलका टोप्पो, संजू उरांव, अनूप पूर्ति.
पशुपालन व गव्य विकास : नूतन एक्का, सुषमा उरांव, गौतम मुंडा, एमली सोरेन, फिलिप टोप्पो, महावीर सिंह मुंडा व सिटीजन फाउंडेशन से जुड़े विनोद उरांव को सब्जी उत्पादन और सुलेमान कंडुलना को श्रीविधि तकनीक से धान की बेहतर पैदावार के लिए सम्मानित किया गया.

कल्याण विभाग : राम प्रताप, विनोद, पंकज, देवेंद्र, बुधन, डेविड महतो, वीरेंद्र कुमार, नंदू समेत 10 लोगों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया.

समाज कल्याण : आंगनबाड़ी सेविका संगीता कच्छप, विराज देवी, शैली, शीला लिंडा व विनिता सोरेन.

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