अधिकारियों ने कराया
रांची : राज्य के 13 हजार परिवारों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिला. उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया गया. साथ ही राज्य सरकार केंद्र से मनरेगा के 4591 करोड़ रुपये नहीं ले सकी. वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए विधानसभा में पेश प्रधान महालेखाकार (सीएजी) की रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.
रिपोर्ट मंत्री राजेंद्र सिंह ने सदन में रखी. इसमें कहा गया है कि 2011-12 के दौरान अधिकारियों की लापरवाही से 31791 मामलों में गलत आकलन किया गया, जिससे 1117.79 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ. यह नुकसान अधिकारियों की ओर से कर नहीं लगाने और कम कर लगाने से हुआ.
इसमें 404.09 करोड़ रुपये वसूलने योग्य माना गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदारों को गलत भुगतान करने और दंड आदि की राशि नहीं वसूलने से 100 करोड़ का नुकसान हुआ. सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ कर 30664 करोड़ रुपये हुआ है.
मनरेगा की मॉनिटरिंग सही नहीं
प्रधान महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में पिछले पांच वर्ष (2007-12) में मनरेगा के अंकेक्षण को भी शामिल किया है. इसमें कहा गया है कि इस अवधि में मनरेगा के तहत निबंधित 13 हजार परिवारों को मांगने पर भी काम नहीं मिला. काम नहीं मिलने पर उन्हें मुआवजा देना है.
पर उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया गया. निबंधित परिवारों में से सिर्फ एक से तीन प्रतिशत को ही 100 दिन का काम मिल सका. मनरेगा की योजनाओं की मॉनिटरिंग भी सही तरीके से नहीं की गयी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.72 करोड़ खर्च करने के बाद मनरेगा की कुछ योजनाओं को बंद कर दिया गया.
मजदूरों को भुगतान के नाम पर गड़बड़ी की गयी. मनरेगा की योजनाओं के लिए अवैध खनन करनेवालों से 11.93 करोड़ की लागत से बोल्डर, मेटल, चिप्स, आदि खरीदे गये. इससे पर्यावरण को भी नुकसान हुआ. मनरेगा में वेबसाइट पर डाली गयी सूचनाओं और जमीनी हकीकत में भारी अंतर पाया गया है.
सरकार को 100 करोड़ का नुकसान पहुंचाया
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में पथ निर्माण, भवन निर्माण, पेयजल व जल संसाधन और ग्रामीण कार्य विभाग में सरकार को करीब 100 करोड़ का नुकसान पहुंचाने की चर्चा की है. इन मामलों में नियमों का उल्लंघन करने से ठेकेदारों को अधिक भुगतान करना पड़ा है.
साथ ही ऐसे निर्माण कार्यो पर राशि खर्च की गयी है, जिसका लाभ लोगों को नहीं मिला. रिपोर्ट के अनुसार, भवन निर्माण विभाग ने निविदा सूचना की शर्तो का अनुपालन नहीं किया. ठेकेदार से 47.53 करोड़ का ऐसा काम कराया, जिसमें मूल्य वृद्धि और मोबलाइजेशन एडवांस का प्रावधान था.
यहां भी गड़बड़ी
– पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता ने धनबाद जलापूर्ति योजना के फेज–दो में सरकारी नियमों का उल्लंघन कर ऐसे काम किये, जिससे मेसर्स नागाजरुना कंस्ट्रक्शन को 6.77 करोड़ अधिक का भुगतान करना पड़ा.
– जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा नियमों का पालन नहीं करने से भैरवा और केसो जलाशय योजना में ठेकेदार को 1.08 करोड़ का अधिक भुगतान करना पड़ा
– पथ निर्माण विभाग ने हजारीबाग–बड़कागांव–टंडवा पथ पर बिना पहुंच पथ के ही पुल बना दिये. इससे सरकार को 1.02 करोड़ का नुकसान हुआ.
– रांची नगर निगम, रांची अंचल कार्यालय, नामकुम प्रखंड कार्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नामकुम, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी कार्यालय के 192 कर्मचारियों ने अधिक मकान भाड़ा और भत्ता लेकर सरकार को 70 लाख का नुकसान पहुंचाया
– भवन निर्माण विभाग ने ठेकेदार से 47.53 करोड़ का ऐसा काम कराया, जिसमें मूल्य वृद्धि और मोबलाइजेशन एडवांस का प्रावधान था.
लोक उपक्रमों की स्थिति खराब
सीएजी की रिपोर्ट में राज्य के 13 लोक उपक्रमों की चर्चा की गयी है. कहा गया है कि इनमें सिर्फ नौ उपक्रमों ने ही अपने आय–व्यय का लेखा पेश किया है. जिन्होंने लेखा–जोखा सौंपा है, उनमें पांच को कुल 22.94 करोड़ का मुनाफा हुआ है. चार उपक्रमों को 809.62 करोड़ का नुकसान हुआ है. राज्य सरकार ने इस उपक्रमों में कुल 6192.40 करोड़ का निवेश किया है.
राज्य की वित्तीय स्थिति
– 2010-11 की तुलना में 2011-12 में आर्थिक स्थिति में मामूली सुधार रहा
– 2011-12 में 22420 करोड़ का राजस्व (19.4 फीसदी की वृद्धि) मिला. 2992 करोड़ का राजस्व खर्च (17 फीसदी की वृद्धि) हुआ.
– 2011-12 में बजट आकलन के मुकाबले सरकार 5326 करोड़ कम जुटा पायी
– सरकार के कुल खर्च का 86 प्रतिशत राजस्व खर्च रहा.
– केंद्र ने राज्य बजट से बाहर 4194.42 करोड़ का सीधा हस्तांतरण विकास अभिकरणों को किया.
– सही बजट आकलन नहीं होने से 2011-12 में 9998.5 करोड़ सरेंडर करना पड़ा
– 2007-2012 की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद में व्यापक उतार–चढ़ाव से राज्य कर्ज की ओर बढ़ा. 31 मार्च 2012 तक राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ कर कुल 30664 करोड़ हो गया.