विधानसभा चुनाव लड़ने के वक्त चमरा लिंडा ने जो शपथ पत्र दाखिल किया था, उसमें इस बात का उल्लेख था कि उनके खिलाफ अदालतों में चार मामले दर्ज हैं. इनमें से दो में तो चमरा लिंडा के खिलाफ वारंट भी जारी किया गया था. इन चारों मामलों में उन्हें जमानत मिल गयी. अब एक नया मामला सामने आया है. चमरा लिंडा के खिलाफ एक और मामला कोतवाली थाना, रांची में 2004 में दर्ज किया गया था, जिसमें चार साल पूर्व यानी 2008 में ही अदालत ने उन्हें स्थायी फरार घोषित किया है. पर इस मामले का जिक्र चमरा लिंडा के शपथ पत्र में नहीं है. अदालत ने जिस चमरा लिंडा को फरार घोषित किया है, उसमें पिता का नाम विगल लिंडा, पता टुंडुल डोरियाटोली, जगन्नाथपुर, रांची लिखा गया है. चमरा लिंडा (विधायक) ने चुनाव के वक्त जो शपथ पत्र दायर किया था, उसमें पता तो वही है, पर पिता का नाम विगल उरांव (विगल लिंडा नहीं) लिखा है. चमरा लिंडा ने अपने शपथ पत्र के साथ अदालत द्वारा जारी दो रिकॉल ऑर्डर जमा किया है. एक में पिता का नाम विगल उरांव और दूसरे में विगल लिंडा लिखा है. दोनों में पता एक ही, यानी टुंडुल डोरियाटोली, जगन्नाथपुर, रांची लिखा गया है. दो में से एक रिकॉल ऑर्डर में पिता का जो नाम (विगल लिंडा) और पता लिखा है, वही नाम और पता अदालत द्वारा फरार घोषित मामले में भी है. अब यह जांच का विषय है कि अदालत द्वारा स्थायी फरार घोषित चमरा लिंडा क्या विधायक चमरा लिंडा ही हैं या कोई अन्य व्यक्ति है, जो उसी नाम से, उसी पते पर (पिता का नाम भी एक, सिर्फ टाइटल अलग) रहता है.
रांची: चमरा लिंडा कोतवाली थाने के एक मामले में साढ़े चार साल से फरार हैं. रांची के तत्कालीन न्यायिक दंडाधिकारी आरएन राय की अदालत ने चमरा लिंडा को एक दिसंबर 2008 से स्थायी तौर पर फरार घोषित कर रखा है. इसमें चमरा के पिता का नाम विगल लिंडा और पता ग्राम टुंडूल, डोरियो टोली, थाना जगन्नाथपुर, जिला रांची दर्ज है.
चमरा लिंडा के विरुद्ध कोतवाली थाने में सात दिसंबर 2004 को एक प्राथमिकी (715/2004) दर्ज की गयी थी. कोतवाली थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी सनत कुमार सोरेन की सूचना पर चमरा लिंडा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि उनके नेतृत्व में हजारों की संख्या में युवक-युवतियां अलबर्ट एक्का चौक पर जमा होकर आदिवासी नेताओं के पुतले को फांसी देने की तैयारी कर रहे थे. इस वजह से यातायात व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो गयी थी. सिटी डीएसपी और मजिस्ट्रेट ने इन लोगों को समझाया, लेकिन वे नहीं माने.
शाम करीब पांच बजे कार्यक्रम खत्म होने के बाद यातायात बहाल किया जा सका. इसके मद्देनजर चमरा लिंडा और अज्ञात भीड़ के खिलाफ आइपीसी की धारा 283 और 353 के तहत (यातायात बाधित करने और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप) प्राथमिकी दर्ज की गयी. इसकी जांच के बाद 26 दिसंबर 2006 को चमरा लिंडा के खिलाफ चाजर्शीट दायर की गयी.
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से इस मामले में चमरा की कभी गिरफ्तारी नहीं हुई. पुलिस ने 17 अप्रैल 2006 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में चमरा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए आवेदन दिया. न्यायालय ने उसी दिन इसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया. एक मई 2006 को पुलिस ने अदालत में यह कहते हुए आवेदन दिया कि अभियुक्त अपनी गिरफ्तारी से बच रहा है. इसलिए इसके विरुद्ध मुनादी (प्रोक्लेमेशन) आदेश जारी किया जाये. अदालत ने उसी दिन मुनादी आदेश जारी कर दिया. इसके बाद अदालत ने आरोप पत्र के आधार तीन जनवरी 2007 को संज्ञान लिया और सुनवाई के लिए इसे न्यायिक दंडाधिकारी आरएन राय की अदालत में हस्तांतरित कर दिया. सक्षम अदालत ने इस मामले में अभियुक्त को सम्मन जारी करते हुए 23 मार्च 2007 को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया. पर वह अनुपस्थित रहे. अदालत द्वारा निर्धारित तिथि 28 मई 2007, एक अगस्त 2007, तीन अक्तूबर 2007 को अनुपस्थित रहने की वजह से दो जनवरी 2008 को जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया. 10 मार्च 2008 को अदालत ने इस मामले को 15 मई 2008 को उपस्थापित करने का आदेश दिया. इस तिथि को भी अनुपस्थित रहने पर अदालत ने कुर्की जब्ती की प्रक्रिया शुरू की. 25 जुलाई 2008 तक इस मामले में अभियुक्त के अनुपस्थित रहने की वजह से अदालत ने यह माना कि निकट भविष्य में अब अभियुक्त के अदालत में उपस्थित होने की संभावना नहीं है. अदालत में अभियुक्त को फरार घोषित करते हुए थाना प्रभारी को यह आदेश दिया कि अभियुक्त का नाम फरारी पंजी में अंकित करे. एक सितंबर 2008, तीन अक्तूबर 2008, 10 नवंबर 2008 को आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अदालत ने एक दिसंबर 2008 को अभियुक्त को स्थायी रूप से फरार घोषित करते हुए दस्तावेज को रिकॉर्ड रूम में भेजवा दिया.
चुनाव आयोग से जानकारी छिपायी
यदि यह मामला बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा का ही है, तो उन्होंने विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करते समय दायर शपथ पत्र में कोतवाली थाना कांड संख्या 715/2004 का उल्लेख नहीं किया है. शपथ पत्र में चमरा ने अपने विरुद्ध सिर्फ चार मामलों का उल्लेख किया है. इसके अनुसार उनके खिलाफ कोतवाली थाना कांड संख्या 143/02, घाघरा थाना कांड संख्या 59/04 (जीआर 712/04), लोहरदगा कांड संख्या 39/09 और कुडू थाना कांड संख्या 30/09 दर्ज है. चमरा ने कुडू और घाघरा थाने में दर्ज मामलों में अदालत से जमानत ली है. इन दोनों मामलों में उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट था. दोनों मामलों में लोहरदगा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने जमानत दी है. कुडू थाना कांड संख्या 30/09 (जीआर 157/09) में लोहरदगा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी जमानती पत्र में उनके पिता विगल उरांव दर्ज है, जबकि घाघरा थाना कांड संख्या 59/04 (जीआर 712/04) में जारी जमानती पत्र में उनके पिता का नाम विगल मुंडा दर्ज है.
चमरा ने नहीं दिया पक्ष
इस खबर पर प्रतिक्रिया जानने के लिए विधायक चमरा लिंडा को उनके मोबाइल (8084879194) पर संवाददाता ने कई बार फोन किया. एसएमएस भी भेजा, पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.