रांची: झामुमो नेता हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नवगठित साझा सरकार को 18 जुलाई को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने अबतक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है. इससे सत्ता पक्ष की परेशानी बढ़ गयी है. फिलहाल सत्ता पक्ष के पास 43 का आंकड़ा है. वहीं विपक्ष के पास 38 विधायक हैं.
सत्ता पक्ष के पांच विधायकों के सामने कानूनी अड़चनें हैं. इन्हें कानूनी बाध्यता खत्म करनी होगी. उसके बाद ही ये विधायक वोटिंग के लिए सदन पहुंच सकते हैं. स्थिति सदन में सरकार के विश्वास मत के दौरान दो-चार वोट के इधर-उधर होने से बाजी पलट सकती है. सदन में शक्ति परीक्षण को लेकर पक्ष-विपक्ष में शह-मात का खेल चल रहा है.
सरकार की मुसीबत : नयी सरकार को झामुमो विधायक नलिन सोरेन और सीता सोरेन को लेकर परेशानी बढ़ी हुई है. झामुमो इन विधायकों को सरेंडर करा कर कोर्ट की अनुमति के बाद सदन में लाने की तैयारी कर रहा है.
अगर ये विधायक सरेंडर के लिए तैयार नहीं हुए, तो मुसीबत खड़ी हो सकती है. स्पीकर चाहें, तो इन विधायकों की गिरफ्तारी का आदेश सदन में भी दे सकते हैं. यह सब कुछ वोटिंग से पहले भी हो सकता है.
भाजपा की रणनीति
जानकारी के अनुसार, भाजपा की रणनीति है कि विधानसभा में विश्वास मत तक स्पीकर सीपी सिंह पद पर बने रहें. वर्तमान हालात पर प्रदेश नेतृत्व ने आला नेताओं को जानकारी दी है. पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बातचीत के बाद यह रणनीति तय की गयी है. इसके लिए पार्टी के केंद्रीय नेताओं में भी सहमति है. सत्ता पक्ष के पास जो आंकड़ा है, उसे देखते हुए यह रणनीति बनायी गयी है. वर्तमान स्पीकर के रहते फरार विधायक वोटिंग नहीं कर पायेंगे. इसके बावजूद हेमंत की सरकार सदन में विश्वास मत हासिल कर लेती है, तो स्पीकर इस्तीफा दे देंगे.