रांची: राज्य के विश्वविद्यालयों में वर्षो से शिक्षकों के पद रिक्त रहने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने चिंता जतायी है. यूजीसी के अध्यक्ष वेद प्रकाश ने सभी कुलपतियों को पत्र भेज कर रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया है.
उन्होंने लिखा है कि अगर समय पर शिक्षकों के रिक्त पद नहीं भरे जाते हैं, तो यूजीसी विवि को सामान्य विकास अनुदान रोकने के लिए बाध्य होगा. शिक्षकों के पद रिक्त रहने पर विद्यार्थियों को सही मायने में गुणात्मक शिक्षा नहीं मिल पा रही है. विवि में विभिन्न विषयों से संबद्ध पद रिक्त होने कारण अनुदेशात्मक कार्य ऐसे शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है, जो अस्थायी, अनुबंधात्मक और यहां तक कि अंशकालिक आधार पर नियुक्त हैं. सौंपे गये कार्यो को पूरा करने के साथ ही उनकी प्रतिबद्धता भी समाप्त हो जाती है.
परिणाम यह होता है कि समस्त अनुदेश छात्रों को एक विधि अनुसार प्रस्तुत किये जाते हैं. इस श्रेणी के अध्यापक नियमित पद पर आसीन नहीं होने के कारण स्वव्यावसायिक विकास संबंधी निरंतर पहल का लाभ प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं कर सकते.
अध्यक्ष ने कहा है कि हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम विवि में रिक्त स्थानों को भरने के लिए अकादमिक एवं व्यावसायिक रूप से योग्य व्यक्तियों को चिह्न्ति करें. विज्ञापनों, विवि वेबसाइट द्वारा प्रत्याशियों के नाम जानने के लिए विशेषज्ञों के समक्ष व्यक्तिगत संदर्भो द्वारा तथा भौगोलिक क्षेत्रधिकार से आगे जाकर उनको खोजने के लिए भी समस्त प्रयास किये जाने चाहिए. नियुक्ति में आरक्षण नीति का विधिवत अनुपालन किया जाये.
अगले सत्र के पहले नियुक्ति का निर्देश
शिक्षकों की नियुक्ति आगामी अकादमिक सत्र से पहले कर लिये जायें. झारखंड राज्य में पांचों विवि में वर्ष 2008 में शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. वर्तमान में राज्य के विवि में व्याख्याता के लगभग नौ सौ पद रिक्त हैं. अकेले रांची विवि में व्याख्याता के 276 पद रिक्त हैं, जबकि प्रोफेसर के 38 और रीडर के 79 पद रिक्त हैं.