झारखंड में अब तक सिविल सर्विसेज बोर्ड का गठन नहीं हो पाया है. इससे आइएएस अधिकारियों के तबादले साल भर के अंदर कर दिये जा रहे हैं. उन्हें काम करने का अवसर नहीं मिल रहा है. मंत्रियों व नेताओं से विवाद के बाद सीनियर व बेहतर कार्य करनेवाले अधिकारियों को वैसे विभागों में भेजा जा रहा है, जहां उन्हें करने को कुछ भी नहीं है. यानी ऐसे अधिकारी शंटिंग में डाले जा रहे हैं.
शकील अख्तर, रांची: भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1987 बैच के अधिकारी सुखदेव सिंह राष्ट्रपति शासन में वित्त सचिव थे. सरकार बनने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बनाया गया. करीब एक साल तक ही इस पद पर रहे. इस अवधि में विभिन्न विभागों और मंत्रियों का मुख्यमंत्री सचिवालय के साथ कानूनी बिंदुओं पर विवाद हुआ. इसके बाद उनका तबादला भवन निर्माण सचिव के पद पर कर दिया गया. यह करीब 150 करोड़ का छोटा वर्क्स डिपार्टमेंट है. यहां काम कम है.
एपी सिंह को भी साल भर में हटाया गया : सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1991 बैच के अधिकारी अमरेंद्र प्रताप सिंह को वित्त सचिव के पद से हटा कर आपदा प्रबंधन सचिव बना दिया है. उन्होंने 19 अगस्त 2013 को वित्त सचिव के पद पर योगदान किया था. विभिन्न विभागों व मंत्रियों के साथ वित्त नियमावली के अनुपालन के मुद्दे पर उभरे विवाद के बाद वह करीब एक साल ही इस पद पर रह सके.
सरकार ने उन्हें ऐसे विभाग का सचिव बनाया है, जहां उनकी योग्यता और क्षमता का परिचय राज्य में प्राकृतिक आपदा आने के बाद ही होगा. राज्य में आपदा प्रबंधन समितियों का गठन हो चुका है. आपदा प्रबंधन नीति भी बना चुकी है. इसलिए अब उनके पास काम नहीं के बराबर है.
मंत्री से विवाद के बाद हटे कुलकर्णी
सरकार ने 1995 बैच के आइएएस अधिकारी नितिन मदन कुलकर्णी का कृषि मंत्री योगेंद्र साव के साथ उभरे विवाद के बाद तबादला कर दिया. वह एक साल तक ही कृषि सचिव के पद पर रहे. अगर राज्य में सिविल सर्विसेज बोर्ड का गठन हुआ होता, तो दो साल से पहले उनका तबादला शायद नहीं हो पाता. सरकार ने नितिन मदन कुलकर्णी को कृषि सचिव के पद से हटा कर निबंधन सचिव बना दिया है. उनके पास बैठने की तो जगह है, पर काम नहीं के बराबर. वैधानिक रूप निबंधन से जुड़े कामकाज की सारी शक्तियां निबंधन महानिदेशक (आइजी रजिस्ट्रेशन) के पास होती हैं. इसलिए इससे पहले तक सभी निबंधन सचिवों को निबंधन महानिदेशक का भी प्रभार दिया जाता रहा है. महाराष्ट्र कैडर से प्रतिनियुक्ति पर आयी नीलिमा केरकेट्टा को सरकार ने जब निबंधन सचिव के पद पर पदस्थापित किया था, तो उन्हें निबंधक महानिदेशक का भी प्रभार दिया था. नितिन कुलकर्णी से पहले निबंधन सचिव रहे सत्येंद्र सिंह के पास भी निबंधन महानिदेशक का प्रभार था. पर, सरकार ने नितिन कुलकर्णी को निबंधन महानिदेशक का प्रभार नहीं दिया है. इससे विभिन्न प्रकार की संस्थाओं के निबंधन आदि का काम बंद है.
हार्वर्ड से पढ़ कर लौटे हैं सुनील वर्णवाल
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1997 बैच के अधिकारी सुनील कुमार वर्णवाल हार्वर्ड से पब्लिक मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी कर लौटे हैं. वह सरकार की अनुमति से पढ़ाई करने गये थे. लौटने के बाद उन्होंने 30 जुलाई को अपना योगदान दिया. पर सरकार ने उन्हें पदस्थापन की प्रतीक्षा में रख दिया. 20 दिन की प्रतीक्षा के बाद उन्हें आवास विभाग के सचिव के पद पर पदस्थापित कर दिया. 20 अगस्त को इसकी अधिसूचना जारी हुई. अब उनके सामने सबसे बड़ी समस्या है कि वह बैठें कहां. सचिवालय में आवास सचिव के लिए अलग से कोई चेंबर भी नहीं है. दरअसल राज्य गठन के बाद से आवास सचिव का पद हमेशा अतिरिक्त प्रभार में रहा. इसका कारण बताया जाता है कि आवास सचिव के पास काम नहीं के बराबर होता है. बैठने तक की जगह नहीं मिलने के कारण अब नये आवास सचिव अपनी समस्या को लेकर मुख्य सचिव से मिलना चाहते हैं.