कोलकाता/रांची: आलू व्यवसायियों की हड़ताल के कारण आलू मुद्दे पर राज्य सरकार को अपना रुख नरम करना पड़ा है. राज्य सरकार ने आलू बंगाल से बाहर भेजने पर लगायी गयी रोक में आंशिक छूट देने का निर्णय लिया है. 25 अगस्त तक ओड़िशा व झारखंड को कुल 5000 टन आलू भेजने की अनुमति दी गयी है. बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुई टास्क फोर्स की बैठक में यह फैसला लिया गया.
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि वह नहीं चाहती हैं कि कोई भी आलू से वंचित रहे, लेकिन जिस प्रकार से आलू की कीमत राज्य में बढ़ी थी, उससे कड़े कदम उठाने जरूरी थे. 25 अगस्त तक राज्य से 5000 टन आलू ओड़िशा व झारखंड भेजने की मंजूरी दी गयी है. इसमें से 4500 टन आलू पश्चिम मेदिनीपुर के दांतन सीमा से ओड़िशा भेजा जायेगा और 5000 टन आलू आसनसोल से झारखंड भेजा जायेगा.
बैठक के बाद फोरम फॉर ट्रेडर्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ वेस्ट बंगाल के महासचिव रवींद्र नाथ कोले ने बताया कि महानगर के विभिन्न बाजारों में 14 रुपये किलो आलू बेचने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने व्यावसायिक समितियों को भी पहल करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि जहां थोक बाजार में आलू की कीमत 12 रुपये प्रति किलो है, तो खुदरा बाजार में इसकी कीमत अधिक क्यों है, इस ओर मुख्यमंत्री ने व्यावसायिक समितियों को ध्यान देने की बात कही. गौरतलब है कि बुधवार को उत्तर बंगाल के सात जिलों के आलू व्यवसायियों ने एक दिन की हड़ताल का एलान किया था. उत्तर बंगाल के व्यवसायियों ने बुधवार को 18 कोल्ड स्टोरेज से आलू नहीं उठाया.
झारखंड सरकार असमंजस में
रांची: आलू-प्याज की बढ़ी कीमतों व आम लोगों के त्रहिमाम के बीच खाद्य आपूर्ति विभाग में बुधवार को बैठक हुई. विभागीय मंत्री लोबिन हेंब्रोम की अध्यक्षता में हुई बैठक में सचिव सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे. बैठक में आलू-प्याज की भंडारण सीमा तय करने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. अलबत्ता पांच राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ व उत्तर प्रदेश सरकार को चिट्ठी लिख कर उनसे जानकारी मांगी गयी है कि उन्होंने अपने राज्यों में कीमतें रोकने व भंडारण सीमा निश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएं हैं. उनसे केंद्र सरकार के तीन जुलाई के निर्देश के आलोक में यह जानकारी मांगी गयी है. बैठक में विभागीय सचिव द्वारा केंद्र को लिखी चिट्ठी पर भी बात हुई. इस मुद्दे पर सचिव ने बताया कि पहले की चिट्ठी का केंद्र ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. इस आलोक में उन्होंने केंद्र को मंगलवार को एक स्मार पत्र दिया है. उसमें पूछा गया है कि तीन मुद्दों पर दिये गये निर्देश से राज्य सरकार असमंजस में है.
यह स्पष्ट नहीं हो रहा कि भंडारण सीमा तय करने के अलावा क्या आलू-प्याज के व्यापारियों के लिए लाइसेंस भी निर्गत किया जाना है? इसके अलावा केंद्र के निर्देश में संचालन व निबंधन की भी बात है. इन मिलीजुली बात से राज्य सरकार निर्णय नहीं कर पा रही है. गौरतलब है कि झारखंड में अब तक आलू-प्याज की भंडारण सीमा तय नहीं की जा सकी है.