मनोहरपुर : झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा संचालित सर्व शिक्षा अभियान द्वारा भले ही स्कूल में बच्चों के ठहराव व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा किया जाता रहा है. परंतु धरातल पर स्थिति अत्यंत दयनीय है.
स्थिति यह है कि स्कूल आने वाले बच्चों में कई मध्याह्न् भोजन, तो कई स्कूल में सोने के लिये आते हैं. यह सुनने में भले अजीब लगे, परंतु यह सत्य है कि छोटे बच्चों को भले ही शिक्षा ग्रहण करने के लिये माता-पिता स्कूल की राह दिखाते हैं, परंतु शिक्षकों की कारगुजारी के कारण उनके पास सोने, खाने व खेलने के अलावा कुछ नहीं होता.
ऐसा ही एक मामला मंगलवार को प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय सुनसुना में देखने मिला. उक्त विद्यालय में कुल बच्चों की संख्या 25 है, मंगलवार को विद्यालय में पांच बच्चे उपस्थित थे. इन पांच बच्चों में तीन बच्चे गुरु जी की अनुपस्थिति में सो गये थे. जबकि दो बच्चे गुरु जी की आस लगाये बरामदे में किताब में से कुछ शिक्षा ग्रहण करने का प्रयास कर रहे थे.
गौरतलब है कि 25 बच्चों के विद्यालय में शिक्षकों की संख्या 2 है. विद्यालय के प्रधान शिक्षक रामचंद्र कच्छप व रोशन लाल पूर्ति उक्त विद्यालय में पदस्थापित हैं. बावजूद यहां पढ़ाई का माहौल दूर-दूर तक नजर नहीं आया. यहां बच्चों ने बताया कि उन्हें विगत दो दिनों से मध्याह्न् भोजन भी नहीं दिया जा रहा है.
जिस कारण बच्चे स्कूल आना नहीं चाह रहे हैं. मौके पर प्रभारी प्रधान शिक्षक रामचंद्र कच्छप गायब मिले. मौके पर मौजूद शिक्षक रोशन लाल पूर्ति से बच्चों के सोने तथा मध्याह्न् भोजन के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मध्याह्न् भोजन सेविका डोमन कच्छप के नहीं आने के कारण नहीं बन रहा है. कक्षा में बच्चों के सोने के बाबत उन्होंने माना कि पढ़ाई नहीं होने के कारण छोटे बच्चे सो गये हैं. उन्होंने तुरंत बच्चों को उठाने की बात कही.