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झारखंड में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश,किसान चिंतित

।। मनोज सिंह ।। झारखंड में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश, किसान चिंतित सिमडेगा, गढ़वा व लोहरदगा की स्थिति खतरनाक राज्य सरकार ने सूखे से निबटने की शुरू की तैयारी रांची : राज्य में बारिश की स्थिति अच्छी नहीं है. 12 जुलाई तक सामान्य से 11 %कम बारिश हुई है. सिमडेगा, लोहरदगा व गढ़वा […]

।। मनोज सिंह ।।

झारखंड में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश, किसान चिंतित

सिमडेगा, गढ़वा व लोहरदगा की स्थिति खतरनाक

राज्य सरकार ने सूखे से निबटने की शुरू की तैयारी

रांची : राज्य में बारिश की स्थिति अच्छी नहीं है. 12 जुलाई तक सामान्य से 11 %कम बारिश हुई है. सिमडेगा, लोहरदगा व गढ़वा में सामान्य से 50% से भी कम वर्षा हुई. राज्य में 12 जुलाई तक 325.7 मिमी बारिश होनी चाहिए थी. पर 290.33 मिमी ही हुई. बारिश की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण खेती का काम प्रभावित हो गया है. जहां-जहां बिचड़े लगाये गये थे, वे पीले पड़ने लगे हैं. किसानों का कहना है कि तीन-चार दिनों में बारिश नहीं हुई, तो खेती को बड़ा नुकसान होगा.

इधर, सरकार ने संभावित सूखे की स्थिति से निबटने की तैयारी शुरू कर दी है. सरकारी स्तर पर आकस्मिक फसल योजना तैयार कर ली गयी है. क्या है सरकार की तैयारी : सूखे की संभावित स्थित से निबटने के लिए सरकार आकस्मिक फसल योजना के तहत किसानों में मूंग, तोरिया, उरद, अरहर, मक्का, नाइजर, ज्वार, कुलथी और मटर के बीज बांटेगी. करीब 65 हजार क्विंटल बीज खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. सभी फसलों के प्रमाणित और शंकर बीज का वितरण किया जायेगा. सरकार ने 5050 क्विंटल मूंग, 6630 क्विंटल तोरिया, 3060 क्विंटल उरद, 10200 क्विंटल अरहर, 5100 क्विंटल , 714 क्विंटल नाइजर, 51 क्विंटल ज्वार व 2550 क्विंटल कुलथी बीज का वितरण किया जायेगा. सरकार 30 हजार क्विंटल सब्जी बीज भी किसानों को बांटना चाहती है.

किसान का दर्द : बारिश नहीं हुई, तो भूखे मरेंगे

गुमला : बारिश नहीं होने से गुमला जिले के दो लाख हेक्टेयर खेत में खेती शुरू नहीं हो पायी है. किसान चिंतित हैं. चैनपुर प्रखंड में किसान बलकू तिर्की शनिवार को अपने खेत में चिंतित अवस्था में बैठा मिला. उसके साथ दो महिलाएं सुमन तिर्की और विमला देवी भी थे. सभी बारिश नहीं होने से परेशान थे. खेती का काम शुरू नहीं हो पाया है. अपन दुखड़ा सुनाते हुए बताते हैं, बारिश नी होवी होले भूखे मरब (बारिश नहीं हुई, तो भूखे मरेंगे).

पर साल भी बारिश कम होय रहे (पिछले साल भी बारिश कम हुई थी), मजदूरी कर साल भर पेट पालली (पूरे साल मजदूरी कर पेट पाला). इ साल भी बारिश नी होवा थे (इस साल भी बारिश नहीं हो रही). कैसे जीयब (कैसे जीयेंगे). बलकू का कहना है कि अब सरकार की हमारे लिए सब-कुछ है. सरकार ही दुख दूर कर सकती है.

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