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रांची : नामकुम थानेदार की मनमानी, गुमशुदगी मामले की नहीं की जांच, नहीं माना निर्देश
अमन तिवारी, रांची :नामकुम थानेदार सह इंस्पेक्टर राय पंकज सौमित्र भूषण खुद को कानून से भी बड़ा समझते हैं. शायद यही वजह है कि केतारी बागान निवासी वृद्ध व्यक्ति सुशील कुमार को तलाशने के लिए पहले डीजीपी फिर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. सिर्फ लापता होने को लेकर 20 […]
अमन तिवारी, रांची :नामकुम थानेदार सह इंस्पेक्टर राय पंकज सौमित्र भूषण खुद को कानून से भी बड़ा समझते हैं. शायद यही वजह है कि केतारी बागान निवासी वृद्ध व्यक्ति सुशील कुमार को तलाशने के लिए पहले डीजीपी फिर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. सिर्फ लापता होने को लेकर 20 सितंबर को सनहा दर्ज कर छोड़ दिया. फिर 15 अक्तूबर को फिरौती के लिए सुशील कुमार के अपहरण के आरोप में केस दर्ज किया.
लिहाजा, डीजीपी के पुलिस ऑर्डर 44/11 व सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अनुपालन नहीं करने को लेकर विभाग नामकुम थानेदार के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है. इससे पहले मामले में उन्हें शो कॉज कर पक्ष रखने को कहा गया है.
सीनियर को नहीं दी थी जानकारी : जानकारी के अनुसार सुशील कुमार के लापता होने को लेकर जब नामकुम थाना में सनहा दर्ज किया गया था, तब उन्होंने सीनियर अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं दी थी. घटना के संबंध में सीनियर अधिकारियों से मार्गदर्शन भी प्राप्त नहीं किया गया. इतना ही नहीं सनहा दर्ज करने के 25 दिन बाद नामकुम थानेदार ने उसी सनहा पर फिरौती के लिए अपहरण से संबंधित गलत धारा में केस दर्ज कर दिया.
ऐसे में सवाल यह है कि अगर मामला इतना ही गंभीर था, तब उन्होंने पूर्व में क्यों नहीं कार्रवाई की.थानेदार के खिलाफ और भी हैं मामले : उल्लेखनीय है कि पूर्व में ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि 12 जून को नामकुम थाना क्षेत्र के संतोष कंस्ट्रक्शन कंपनी के मुंशी का अपहरण हुआ था.
इस घटना के पहले इसी कंपनी के मालिक का अपहरण का प्रयास हुआ था. इसकी सूचना कंपनी के मालिक ने थाना प्रभारी नामकुम को दी थी. लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. इस वजह से अपराधियों ने 12 जून को मुंशी का अपहरण कर लिया. जब मामले में थाना प्रभारी को शो कॉज किया गया, तब उन्होंने बताया कि उन्होंने घटना की सूचना वरीय पदाधिकारियों को दी थी.
लेकिन जांच के दौरान किसी वरीय पदाधिकारी को घटना की जानकारी नहीं देने की बात सामने आयी. थानेदार की लापरवाही के कारण ही दोबारा अपराधियों को मुंशी के अपहरण का मौका मिला. इस मामले में डीआइजी के आदेश पर नामकुम थानेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू की गयी है.
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