रांची: झारखंड सरकार अब कल्याण विभाग की ओर से संचालित की जानेवाली छात्रवृत्ति योजना की जांच करायेगी. अब तक स्कॉलरशिप योजना की कोई जांच नहीं होती थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में दिये जा रहे प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन कराने का निर्देश दिया है. सरकार का मानना है कि इससे छात्रवृत्ति पाने के एवज में होनेवाली गड़बड़ियों पर रोक लगायी जा सकेगी.
वैसे राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष 300 करोड़ से अधिक रुपये छात्रवृत्ति के रूप में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्प संख्यक समुदाय के लाभुकों को दिये जाते हैं. सरकार की ओर से पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गयी है. इसके अलावा आधार कार्ड से लाभुकों के खातों को भी जोड़ा जा रहा है. सरकार के आंकड़ों पर गौर करें, तो ऑनलाइन स्कॉलरशिप की शुरुआत होने से फरजी लाभुकों की संख्या में कमी आयी है. हर वर्ष छात्रवृत्ति के लाभुकों का आवेदन दिनों-दिन बढ़ रहा है.
क्या है नियम
सरकार के नियमों के अनुसार छात्रवृत्ति का लाभ लेने के लिए छात्र-छात्रओं के अभिभावकों की वार्षिक आय एक लाख होनी चाहिए. पहले यह 60 हजार रुपये ही थी. छात्रवृत्ति योजना के लिए आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, स्थानीयता, कॉलेजों अथवा स्कूलों के प्राचार्यो की ओर से अनुशंसित छात्र-छात्रओं के नाम और जिला कल्याण पदाधिकारी की अनुशंसा भी जरूरी होती है.
क्या मिलता है स्कॉलरशिप में
चयनित छात्र-छात्राओं को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के रूप में एडमिशन शुल्क के रूप में अधिकतम 50 हजार रुपये और सलाना रख-रखाव के तहत 15 हजार रुपये तक दिये जाते है. वहीं प्री मैट्रिक श्रेणी में प्राथमिक विद्यालयों में पढ़नेवाले छात्रों को 15 रुपये प्रति माह, माध्यमिक स्कूल में पढ़नेवाले छात्र-छात्राओं को 30 रुपये और उच्च स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को 55 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति दी जा रही है.