28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सरकार को हुआ 15 करोड़ का नुकसान

रांची: 1023 गांवों के विद्युतीकरण में सरकार को 14. 94 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की जांच में पकड़ में आयी इस गड़बड़ी पर सरकार से जवाब मांगा है. जानकारी के अनुसार बिजली बोर्ड ने रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरइसी) की अनुमति के बिना ही ग्रामीण विद्युतीकरण की […]

रांची: 1023 गांवों के विद्युतीकरण में सरकार को 14. 94 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की जांच में पकड़ में आयी इस गड़बड़ी पर सरकार से जवाब मांगा है.

जानकारी के अनुसार बिजली बोर्ड ने रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरइसी) की अनुमति के बिना ही ग्रामीण विद्युतीकरण की एक योजना को दो हिस्सों में बांट दिया. योजना में एक ही तरह की सामग्री के लिए दो अलग अलग दरों की स्वीकृति दी. इनमें से कुछ दर में एक लाख रुपये तक का अंतर है. इससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

महालेखाकार ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत नमूना के तौर पर चाईबासा जिले का ऑडिट किया. इसमें भारी गड़बड़ी पायी गयी. आरइसी ने जिले के 15 प्रखंडों के गांवों में विद्युतीकरण के लिए एक डीपीआर को 199.01 करोड़ की लागत पर स्वीकृति दी थी. ऑडिट में पाया गया कि बिजली बोर्ड ने आरइसी की अनुमति के बिना ही स्वीकृत डीपीआर को दो हिस्सों (पैकेज‘बी’ और ‘सी’) में बांट दिया. पैकेज ‘बी’ में आठ और पैकेज ‘सी’ में सात प्रखंडों के गांवों को शामिल किया गया. टेंडर के निबटारे के बाद पैकेज ‘बी’ का काम 140.47 करोड़ की लागत पर जीआइएल नामक कंपनी को दिया. पैकेज ‘सी’ का काम 130.51 करोड़ की लागत पर एनसीसीएल को दिया. इन दोनों ही कंपनियों ने विद्युतीकरण के काम में प्रयुक्त की जानेवाली एक ही तरह की सामग्री व उपकरणों का अलग अलग रेट कोट किया और बोर्ड ने आंख बंद कर इसे स्वीकृति दे दी.

पीएजी ने जांच में पाया कि डीपीआर में ऐसे गांवों को भी शामिल किया गया है जिन गांवों में विद्युतीकरण का काम पहले हो चुका है. चाईबासा के लिए तैयार डीपीआर के अनुसार पहले 1118 गांवों के विद्युतीकरण की योजना थी. डीपीआर में शामिल इन गांवों में से 158 गांव ऐसे थे जहां जंगल की वजह से विद्युतीकरण नहीं हो सकता था.

37 गांव ऐसे थे जिन में पहले ही विद्युतीकरण हो चुका था. आठ गांव ऐसे थे जो दोनों ही ठेकेदारों के डीपीआर में शामिल थे. बाद में बोर्ड ने 1118 गांवों की योजना को संशोधित करते हुए 1023 गांव कर दिया. इसमें से जीआइएल को 505 और एनसीसीएल को 518 गांवों की जम्मेवारी सौंपी गयी. 1023 गांवों में से अब तक सिर्फ 891 गांवों में विद्युतीकरण का काम पूरा हो सका है. इसमें से जीआइएल ने 432 और एनसीसीएल ने 459 गांवों का विद्युतीकरण किया है. आरइसी द्वारा दोनों पैकेजों को स्वीकृत नहीं किये जाने की वजह से 132 गांवों का विद्युतीकरण नहीं हो सका है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें