रांची: जिंदल स्टील एंड पावर लि (जेएसपीएल) के गोड्डा में प्रस्तावित 1320 मेगावाट पावर प्लांट के निर्माण का काम एक कदम भी नहीं बढ़ सका है. बिना भूमि अधिग्रहण के ही 30 अप्रैल 2013 को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से गोड्डा में प्रस्तावित पावर प्लांट का शिलान्यास करा दिया गया था.
तब कहा गया था कि नवंबर 2013 तक भूमि अधिग्रहण व सरकार से भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी और जनवरी 2014 से निर्माण काम शुरू हो जायेगा. अब स्थिति यह है कि शिलान्यास के एक साल बाद भी न तो भूमि का अधिग्रहण हो सका और न ही निर्माण कार्य ही आरंभ हुआ है. कार्यक्रम में राज्यपाल और मुख्य सचिव समेत जेएसपीएल के चेयरमैन नवीन जिंदल भी मौजूद थे.
1230 एकड़ भूमि की जरूरत
जेएसपीएल को गोड्डा में पावर प्लांट के लिए 1230 एकड़ भूमि की जरूरत है, जिसमें 430 एकड़ में मुख्य थर्मल पावर प्लांट होगा. शेष में रिजवार्यर, इंटेक वेल, कॉलोनी आदि का निर्माण होना है. जेएसपीएल गोड्डा के एजीएम (प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग) राजीव रंजन से निर्माण में विलंब के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य तभी शुरू होगा, जब जमीन मिल जायेगी. उन्होंने बताया कि मेन प्लांट के लिए 190 एकड़ भूमि मिल चुकी है. यह रैयती है. केंद्र सरकार ने नया भूमि अधिग्रहण एक्ट ला दिया, जिसके चलते अब सोशल इंपैक्ट असेसमेंट(एसआइए) कराना है. जो नहीं हो सका है.
पावर प्लांट में विलंब
कंपनी के सूत्रों ने बताया कि भूमि अधिग्रहण में जिंदल के अधिकारी विलंब कर रहे हैं. जिसके चलते कंपनी के अध्यक्ष नवीन जिंदल अपने अधिकारियों से नाराजगी भी जता चुके हैं. श्री जिंदल गोड्डा में जल्द से जल्द पावर प्लांट लगाना चाहते हैं. पर अधिकारी मॉनीटरिंग नहीं कर पाते. यही वजह है कि कंपनी में जमीन में अधिकारियों की लापरवाही को लेकर आंतरिक जांच चल रही है. एक आंतरिक मेल के जरिये साफ-साफ कहा गया था कि फॉलोअप न करने की वजह से जिंदल को आवंटित अमरकोंडा कोल ब्लॉक का आवंटन आइएमजी द्वारा रद्द कर दिया गया.