रांचीः सरकार को लेकर घटक दलों के बीच एक बार फिर तकरार बढ़ी है. सत्ता पक्ष के विधायकों के पाला बदलने के बाद सरकार घिर गयी है. हेमंत सोरेन सरकार पर संकट के बादल जरूर मंडरा रहे हैं, लेकिन विधायक अभी सरकार को हिलाने-डुलाने के मूड में नहीं हैं. विधायकों की टकटकी फिलहाल विधायक फंड पर लगी है. सरकार का भविष्य विधायक फंड से जुड़ा है.
इस वित्तीय वर्ष का विधायक फंड की राशि अब तक अटकी हुई है. सरकार गयी, तो वित्तीय वर्ष 2014-15 के विधायक फंड पर ग्रहण लग सकता है. वर्ष के अंत तक विधायकों को चुनावी मैदान में ऐसे भी उतरना है. विधायक फंड से काम करा कर क्षेत्र में माइलेज लेने की सोच रहे हैं. विधायकों के क्षेत्र में कई काम पेडिंग हैं. वहीं फंड की दूसरी गणित पर भी विधायकों (सभी नहीं) की नजर है. विधायक फंड रिलीज हुआ, तो एक साथ कई काम सधेंगे. इधर, सरकार भी इसी रणनीति के तहत काम कर रही है. सरकार के स्तर से भी विधायक फंड को लेकर हड़बड़ी नहीं है.
सत्र में हुआ था हंगामा
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधायक फंड को लेकर खूब हंगामा हुआ था. पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने इस मसले पर सरकार को घेरा था. विधायकों का कहना था कि सरकारी अधिकारियों की गलती और लापरवाही से विकास मद का पैसा रोक कर रखा जाता है. सत्ता पक्ष के झामुमो और राजद के विधायकों ने भी इस मुद्दे पर दबाव बनाया था. पक्ष-विपक्ष के हंगामे के बाद सरकार ने सदन में कहा था कि जल्द से जल्द विधायक फंड रिलीज कर दी जायेगी. एसी-डीसी बिल का मामला सरकार देखेगी. प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था. इसके बाद पिछले वित्तीय वर्ष का फंड रिलीज भी किया गया.
डीसी बिल देने पर निकासी
सरकार ने पहले से यह व्यवस्था की है कि पिछले वित्तीय वर्ष के खर्च का डीसी बिल देने के बाद ही नयी राशि की निकासी होगी. डीसी बिल नहीं देने की स्थिति में पैसे नहीं मिलेंगे. सरकार ने इसे अनिवार्य किया है, पर पिछली बार भी विधानसभा में यह मामला आया. इसके बाद एकमुश्त निकासी का आदेश हो गया था. इस बार भी डीसी बिल के मामले में विधायकों का पैसा फंसेगा.