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सीबीआइ के कोर्ट में हाजिर हुए लालू प्रसाद, लालू की गिरफ्तारी के लिए नहीं मिला था वारंट : डीजी

रांची: चारा घोटाले से जुड़े आरसी 68ए/96 मामले में गुरुवार को लालू प्रसाद की अोर से बचाव पक्ष की गवाही दर्ज की गयी. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में गवाही देते हुए बिहार के डीजी सुनील कुमार ने कहा कि उन्हें जुलाई 1997 में लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सीबीआइ की […]

रांची: चारा घोटाले से जुड़े आरसी 68ए/96 मामले में गुरुवार को लालू प्रसाद की अोर से बचाव पक्ष की गवाही दर्ज की गयी. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में गवाही देते हुए बिहार के डीजी सुनील कुमार ने कहा कि उन्हें जुलाई 1997 में लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सीबीआइ की अोर से वारंट नहीं मिला था. पर देर रात डीजीपी से लालू प्रसाद के खिलाफ वारंट निकलने की बात पता चली थी. जानकारी मिलने के बाद मैं रात में मुख्यमंत्री आवास गया था.

वहां पर जिला पुलिस बल तथा रैपिड एक्शन फोर्स के अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गयी थी. उस समय वहां पर बड़ी संख्या में लोग जमा थे अौर नारेबाजी कर रहे थे. पुलिस ने मुख्यमंत्री आवास में सीबीआइ के लोगों को सुरक्षा प्रदान किया था. हालांकि देर रात गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट से स्थगन आदेश आ गया था. बाद में लालू प्रसाद ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में सरेंडर किया था.

दूसरे गवाह बिहार के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव मुकुंद प्रसाद ने बिहार के आइएएस, आइपीएस अौर अन्य पदाधिकारियों के सेवाविस्तार से संबंधित जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अधिकारियों-पदाधिकारियों का सेवा विस्तार बिहार सर्विस कोड के तहत होता है. इससे पूर्व सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में आरसी 64ए/96 मामले में मुकुंद प्रसाद की गवाही दर्ज हुई. दूसरे गवाह सुनील कुमार की गवाही नहीं हुई. उनकी गवाही के लिए 10 अगस्त की तिथि निर्धारित है. इसके अलावा लालू प्रसाद ने आरसी 47ए/96 अौर आरसी 38 ए/96 मामले में भी कोर्ट में अपनी हाजिरी दर्ज करायी.

अदालत में टली गवाही

चारा घोटाला मामले (आरसी 64ए/96) में गुरुवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में बिहार के डीजी सुनील कुमार की गवाही चल रही थी. गवाही दर्ज करते समय अचानक न्यायाधीश को ख्याल आया कि सुनील कुमार की गवाही के लिए दस अगस्त की तिथि निर्धारित है. इसके बाद उनकी गवाही टाल दी गयी.

चारा घोटाले का 34 किलो सोना सरकार को देने पर बैंक सहमत

आरबीआइ ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश के आदेश पर चारा घोटाले में जब्त 34.466 किलोग्राम सोना राज्य सरकार को देने पर सहमति दे दी है. सीबीआइ ने यह सोना घोटाले के नौ अभियुक्तों के पास से जब्त किया था. कांड संख्या आरसी 20ए/96 में तत्कालीन सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके सिंह के आदेश के आलोक में दो क्विंटल से अधिक सोना सरकारी खजाने में जमा कराना है. सीबीआइ के तत्कालीन विशेष न्यायाधीश ने चारा घोटाले के इस सबसे बड़े मामले में फैसला सुनाते हुए यह कहा था कि मुजरिमों द्वारा रिजर्व बैंक में रखा गया सोना घोटाले के पैसों से खरीदा गया है. इसलिए इसे राज्य के सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाना चाहिए. इस फैसले के बाद मुजरिमों ने अलग-अलग दावे किये और सोना को अपनी पैतृक संपत्ति बताने की कोशिश की. संजय ने बालिग होने के बाद वर्ष 2001 में अपने नाम जमा सोने को विमुक्त करने की मांग की. उसके नाम जमा सोने पर पाबंदी नहीं होने की वजह से उसे विमुक्त कर दिया गया.

सीबीआइ ने नौ अभियुक्तों के पास से जब्त किया था सोना

अभी आरबीआइ से मिलने वाला सोना (किलोग्राम में)

वजन अभियुक्त का नाम

3.572 सुशील कुमार

3.380 बशिष्ठ नारायण सिन्हा

5.137 शकुंतला देवी

6.799 नीलम सिन्हा

5.037 त्रिपुरारी मोहन प्रसाद

4.915 सुशील कुमार

5.126 सुनील कुमार सिन्हा

0.500 रवि नंदन कुमार सिन्हा

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