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बीआरपी की मौत, तबादला के बाद तनाव में थे रामजीत मेहता

गढ़वा : गढ़वा प्रखंड के प्रखंड साधन सेवी (बीआरपी) रामजीत मेहता (35) की मौत गुरुवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से हो गयी. गुरुवार सुबह शव को गढ़वा बीआरसी लाया गया. यहां जिले भर से जुटे बीआरपी व सीआरपी ने शिक्षा विभाग पर आरोप लगाया कि नियम विरुद्ध स्थानांतरण से रामजीत मेहता काफी तनाव में […]

गढ़वा : गढ़वा प्रखंड के प्रखंड साधन सेवी (बीआरपी) रामजीत मेहता (35) की मौत गुरुवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से हो गयी. गुरुवार सुबह शव को गढ़वा बीआरसी लाया गया. यहां जिले भर से जुटे बीआरपी व सीआरपी ने शिक्षा विभाग पर आरोप लगाया कि नियम विरुद्ध स्थानांतरण से रामजीत मेहता काफी तनाव में रह रहे थे. इस कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गयी.
बीआरपी रामजीत मेहता का स्थानांतरण तीन जून को मेराल से गढ़वा कर दिया गया था़ जपला के रहनेवाले रामजीत मेराल में किराये के मकान में परिवार संग रहते थे. स्थानांतरण के बाद बच्चों की पढ़ाई छुड़ा कर गढ़वा शिफ्ट करने व खर्चा बढ़ जाने से तनाव में रहते थेे. आक्रोशित कर्मियों ने जिला शिक्षा अधीक्षक बृजमोहन कुमार व एडीपीओ प्रकाश कुमार को घेर लिया. करीब चार घंटे तक शव के साथ दोनों अधिकारियों को घेरे रखा. काफी खरी-खोटी भी सुनायी़ सूचना मिलने के बाद पहुंचे गढ़वा एसडीओ प्रदीप कुमार व थाना प्रभारी अनिल कुमार सिंह ने मामले को संभाला. आक्रोशित कर्मियों को समझाया. उनके साथ बैठ कर उनकी मांगों को सुना़
विधायक भी पहुंचे : सूचना मिलने के बाद विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी भी वहां पहुंचे. उन्होंने मृतक के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता राशि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया. डीसी से मिल कर कर्मियों का नियम विरुद्ध तबादला रद्द करवाने की भी बात कही.
इसके बाद शव का अंतिम संस्कार हो पाया. बीआरपी-सीआरपी संघ के अध्यक्ष अरविंद चौबे ने बताया कि स्थानांतरण की वजह से मेराल से गढ़वा आने-जाने के दौरान खर्च बढ़ जाने से रामजीत मेहता काफी परेशान रहते थे़ संघ की ओर से कई बार उपायुक्त व अन्य अधिकारियों को आवेदन देकर स्थानांतरण रद्द करने की मांग की गयी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आक्राेशित कर्मियों ने एसडीओ व विधायक के समक्ष मांग रखी की कि मृतक की पत्नी को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नौकरी दी जाये. कम से कम 10 लाख रुपये का आर्थिक सहयोग दिया जाये़ कर्मियों ने करीब 30 हजार रुपये चंदा कर मृतक की पत्नी को सौंपा.
दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन
बीआरसी में चार घंटे तक शव रखकर कर्मियों ने जताया आक्रोश
डीएसइ व एडीपीओ को घेरे रखा
किसी जिले में बीआरपी-सीआरपी का स्थानांतरण नहीं हुआ है़ सिर्फ गढ़वा में ही प्रक्रिया अपनायी गयी है, जो नियम विरुद्ध है. अनुबंध में ही यह शामिल है कि उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता़ उन्हें मानदेय के अलावा अलग से कोई परिवहन भत्ता नहीं दिया जाता है़
– अरविंद चौबे, अध्यक्ष, बीआरपी-सीआरपी संघ

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