पिठोरिया: सुतियांबे गांव निवासी किसान बालदेव महतो की मौत के बाद उनकी पत्नी अनीता देवी ने सरकार से 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है. इंदिरा आवास और दोनों बच्चों की पढ़ाई का खर्च देने की भी मांग की है. अनीता देवी ने बताया कि उनके पति घर के एक मात्र कमाने वाले सदस्य थे. वह किसी तरह खेतीबारी और दूसरे काम कर परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण करने के अलावा बच्चों को पढ़ाते थे. अब घर कैसे चलेगा, इस बात को लेकर अनीता परेशान है.
इधर, घटना की जानकारी मिलने पर विधायक डॉ जीतू चरण राम, पूर्व सांसद सह केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, देवघर विधायक बादल पत्रलेख, पार्षद अनिल टाइगर सहित अन्य लोग भी सुतियांबे गांव पहुंचे. जब विधायक को पता चला कि बालदेव ने केसीसी एकाउंट से 14 जून को पांच हजार निकाले हैं, तब वह कहने लगे, उसके पास इतना पैसा था, तब वह गरीब कैसे हुआ. विधायक परिवार के सदस्यों से निकाले गये रुपये का हिसाब मांगने लगे. इस पर बालदेव महतो के परिवार के सदस्य और गांव की अन्य महिलाएं विधायक पर भड़क गयीं. विधायक से किसी प्रकार की मदद नहीं मिलने पर महिलाओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें खरी-खोटी सुनायी. वहीं, सुबोधकांत सहाय द्वारा पीड़ित परिवार को 10 हजार रुपये सहायता राशि दी गयी. मौके पर सुबोधकांत सहाय ने कहा कि रघुवर सरकार किसान की मौत का मजाक उड़ा रही है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार के आलाधिकारी बयान दे रहे हैं कि शराब पीकर छलांग लगाने के कारण किसान की मौत हुई है. इसका खामियाजा रघुवर सरकार और मोदी जी को आगामी चुनाव में भुगतना होगा. वहीं, महिलाओं के निवेदन पर बालदेव के पुत्र सोनू का कॉलेज में नाम लिखाने की जिम्मेदारी भी पूर्व सांसद ने ली. पार्षद अनिल टाइगर द्वारा भी पीड़ित परिवार को दो हजार की राशि मदद स्वरूप दी गयी. बालदेव महतो का शव पोस्टमार्टम के बाद सुतियांबे गांव पहुंचा, वहां से शव को लेकर परिजन पिठोरिया गांव पहुंचे, जहां अंतिम संस्कार किया गया.
पिठोरिया क्षेत्र के किसानों पर है नौ करोड़ 64 लाख 63 हजार ऋण : पिठोरिया क्षेत्र के किसानों पर बैंक के केसीसी का ऋण नौ करोड़ 64 लाख 63 हजार है. ऋण बैंक ऑफ इंडिया, झारखंड ग्रामीण बैंक व केनरा बैंक पिठोरिया शाखा से निर्गत है. बैंक ऑफ इंडिया से पांच करोड़ 17 लाख 38 हजार (1602 केसीसी), झारखंड ग्रामीण बैंक से एक करोड़ 94 लाख 63 हजार (456 केसीसी) और केनरा बैंक से दो करोड़ 52 लाख 42 हजार (610 केसीसी) रुपये जारी है. दूसरी ओर कमीशन एजेंटों (कोलकाता, दुर्गापुर, आसनसोल, वर्द्धमान, कटक, भुवनेश्वर, पुरी, धनबाद, झरिया, जमशेदपुर सहित अन्य) से भी लगभग 11 करोड़ रुपये का ऋण किसान ले रखे हैं. शर्त यह है कि किसान ने जिस एजेंट से ऋण लिया है, अपनी उपज को वह उसी को देगा. इस वजह से किसानों की आय की मोटी रकम कमीशन एजेंट खा जाते हैं.
रांची डीसी के बयान से स्थानीय किसान नाराज डीसी द्वारा किसान की आत्महत्या के मामले को सिरे से खारिज करने से लोग नाराज हैं. किसानों का आरोप है कि रांची डीसी मामले को खत्म कर किसानों के साथ अत्याचार कर रहे हैं. स्थानीय किसान पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी.
2002 के बाद से बालदेव की स्थिति बिगड़ती चली गयी
बालदेव महतो का परिवार पूर्व में पिठोरिया गांव में रहता था. गांव में जब 2002 में छह भाइयों के बीच जमीन का बंटवारा हुआ, तो बालदेव के हिस्से में सिर्फ 29 डिसमिल जमीन रह गयी. पिठोरिया में जमीन की ऊंची कीमत मिलने पर वह जमीन की बिक्री कर बगल के सुतियांबे गांव में जमीन खरीद कर वहां घर बना कर रहने लगा. सुतियांबे गांव पहुंचने के बाद बालदेव महतो के पास आय का कोई स्थायी साधन नहीं था. वह खेतीबारी और दूसरे काम कर परिवार का भरण-पोषण करने लगा. इस तरह उसकी आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे खराब होने लगी. वह धीरे-धीरे अवसाद से ग्रसित होता चला गया. उसकी पत्नी अनिता देवी का कहना है कि पैसे के अभाव के कारण वह तीन-चार महीने से बहुत परेशान थे.