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हंगामे के दौरान पहुंची पुलिस के साथ की हाथापाई
हाजीपुर : सड़क दुर्घटना में घायल युवक को चिकित्सक द्वारा मृत बताये जाने से आक्रोशित परिजनों ने सदर अस्पताल में जम कर हंगामा और तोड़-फोड़ की. इस दौरान काफी समय तक अस्पताल उग्र लोगों के कब्जे में रहा. लोगों का उपद्रव इस कदर चल रहा था कि अस्पताल के अन्य वार्डो में भरती मरीज और […]
हाजीपुर : सड़क दुर्घटना में घायल युवक को चिकित्सक द्वारा मृत बताये जाने से आक्रोशित परिजनों ने सदर अस्पताल में जम कर हंगामा और तोड़-फोड़ की. इस दौरान काफी समय तक अस्पताल उग्र लोगों के कब्जे में रहा.
लोगों का उपद्रव इस कदर चल रहा था कि अस्पताल के अन्य वार्डो में भरती मरीज और उनके परिजन भी बेड छोड़ कर भागने को मजबूर हो गये. डॉक्टर और कर्मचारी भाग इधर-उधर शरण ले रहे थे. बाद में अस्पताल प्रशासन को पुलिस की सहायता लेनी पड़ी.
क्या है मामला: सदर थाना क्षेत्र के पानापुर लंगा गांव निवासी संजय प्रसाद साह के पुत्र सतीश कुमार और भोला साह के पुत्र विनय कुमार बाइक से पटना से घर लौट रहे थे कि महात्मा गांधी सेतु पर तेरसिया गांव के निकट एक अनियंत्रित ट्रक से ठोकर लगने से बुरी तरह घायल हो गये. घटना की सूचना मिलते ही गंगा ब्रिज पुलिस ने मौके पर पहुंच कर दोनों बाइक सवार घायलों को इलाज हेतु सदर अस्पताल भेजवाया, जहां डॉ ब्रजेश शरण ने एक घायल को मृत घोषित कर दिया.
इसके बाद परिजन आक्रोशित हो गये.
क्यों हुआ हंगामा: घटना की सूचना युवकों के गांव पहुंचते ही बड़ी संख्या में घायलों के परिजन सदर अस्पताल पहुंच गये और उस समय ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ ब्रजेश शरण द्वारा घायल सतीश कुमार को मृत बताते ही आक्रोशित हो गये और आरोप लगाने लगे कि चिकित्सक इलाज नहीं करना चाहते हैं. इसलिए जान-बूझ कर उसे मृत बता दिया गया है. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल के आपात वार्ड में जम कर हंगामा और तोड़-फोड़ शुरू कर दी.
कैसे शांत हुआ मामला: अस्पताल प्रशासन की सूचना पर पहुंची नगर एवं गंगा ब्रिज पुलिस ने आक्रोशित ग्रामीणों को शांत करने के लिए काफी देर तक समझाया-बुझाया, मगर हंगामा कर रहे लोग मानने को तैयार नहीं थे. इस दौरान लोगों की पुलिस के साथ हाथापाई भी हो गयी. बाद में पुलिस ने चार लोगों को अपने साथ थाना ले जाकर समझाया, तब जाकर आक्रोशित ग्रामीण शांत हुए.
पहले भी लगा है मरीजों की उपेक्षा का आरोप: सदर अस्पताल में मरीजों की उपेक्षा का आरोप पहले भी लगता रहा है और अस्पताल में हंगामा होता रहा है, लेकिन अस्पताल प्रशासन कभी इस बात की जांच नहीं करता कि परिजनों के आक्रोश का कारण क्या है. आक्रोशित परिजनों को शांत कराने के लिए पुलिस का बार-बार सहारा लेकर अस्पताल प्रशासन अपने नैतिक दायित्व से अब तक बचता रहा है.
क्या कहते हैं परिजन
जिस समय पुलिस घायलों को लेकर अस्पताल पहुंची थी, उस समय यदि उनका इलाज प्रारंभ हो जाता, तब उनकी जान बच सकती थी. चिकित्सक एवं अन्य कर्मियों की लापरवाही से घायल सतीश कुमार की मृत्यु हुई है.
रंजीत कुमार, पानापुर लंगा
कहता है अस्पताल प्रशासन
जब दोनों घायल अस्पताल पहुंचे, तब उनमें से एक सतीश कुमार की मृत्यु हो चुकी थी. चिकित्सक ने कोई लापरवाही नहीं बरती है.
डॉ यूपी वर्मा, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल
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