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सोनी के आगे हार गयी नि:शक्तता

दो वर्ष की उम्र में नि:शक्तता की शिकार बनी सोनी के जज्बे और साहस के आगे सभी प्रकार की बाधाओं ने घुटने टेक दिये. घर-घर घूम कर ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते अब सोनी अपना कोचिंग संस्थान स्थापित कर चुकी है. साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी है. इतना ही नहीं वह अपने दांपत्य जीवन को भी […]

दो वर्ष की उम्र में नि:शक्तता की शिकार बनी सोनी के जज्बे और साहस के आगे सभी प्रकार की बाधाओं ने घुटने टेक दिये. घर-घर घूम कर ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते अब सोनी अपना कोचिंग संस्थान स्थापित कर चुकी है.
साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी है. इतना ही नहीं वह अपने दांपत्य जीवन को भी खुशहाल बना रही है. सबसे खास बात यह कि नि:शक्तता का दंश ङोल चुकी सोनी अब नि:शक्त छात्र-छात्राओं का सहारा बन रही है. उसने अपने कोचिंग संस्थान में विकलांग बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने की घोषणा की है.
हाजीपुर : कर्मयोगी सम्मान से सम्मानित सोनी लगातार अपनी कामयाबी की सीढ़ी पर छलांग लगाती जा रही है. उसे अपने नि:शक्त होने का एहसास मात्र भी नहीं है. सकारात्मक सोच एवं सच्ची लगन के साथ अपने लक्ष्य के प्रति सजग दिखने वाली सोनी गांव से शहर तक शिक्षा का अलख जगा चुकी है.
अब हाजीपुर में अपना कोचिंग संस्थान स्थापित किया, जहां उसने नि:शक्त बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का संकल्प लिया है. शादी के पहले वह अपने मायके के गांव में भी डोर-टू-डोर ट्यूशन पढ़ाया करती थी.शादी होने के बाद भी शिक्षा से लगाव रखा और आज एक सफल ट्यूटर के रूप में उभर कर आयी है.
कौन है सोनी : सहदेई प्रखंड के नयागंज गांव निवासी अनिल कुमार सिंह एवं प्रमीला देवी की इकलौती पुत्री है सोनी. वर्ष 1992 के छह अक्तूबर को उसने दुनिया में कदम रखा था. उसके दो वर्ष बाद ही पोलियो की चपेट में आ गयी और उसका बायां पैर नि:शक्त हो गया. जैसे उसकी स्कूल जाने की उम्र हुई वह अपनी जिद से स्कूल की दूरी नापने लगी.धीरे-धीरे वह मैट्रिक एवं इंटर साइंस पास किया. अब वह देसरी के बीपीएस कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई कर रही है.
वर्ष 2013 के 11 दिसंबर को विकलांग संघ के जिलाध्यक्ष जसवीर कुमार सिंह के साथ सात फेरे लेकर दांपत्य जीवन की शुरुआत की. हाजीपुर के भवानी चौक पर सोनी ने अपना कोचिंग संस्थान सोनी साइंस केयर स्थापित किया.इस कार्य में उसके पति का सहयोग भी मिल रहा है.
कब कब हुई सम्मानित: उत्कृष्ट कार्य के लिए सोनी को 2012 में प्रभात खबर के सौजन्य से बिहार के तत्कालीन पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कर्मयोगी सम्मान से सम्मानित किया था. उसके बाद 2013 में हाजीपुर के तत्कालीन एसडीओ डॉ चंद्रशेखर सिंह ने भी सोनी को पुरस्कृत किया जा चुका है.
क्या कहती है सोनी
शिक्षा जगत में ही अपना कैरियर बनाना चाहती हूं. मैं नि:शक्तता का दर्द समझती हूं. इसलिए नि:शक्त बच्चों को हर संभव मदद करने को तैयार हूं. हमलोग नि:शक्त दंपती हैं, फिर कभी कोई परेशानी महसूस नहीं हुई. मैं संघर्ष के बल सब करती गयी.
सोनी, कोचिंग संचालिका

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