खुलासा. कार्यपालक पदाधिकारी सहित कनीय अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई का भेजा गया प्रस्ताव
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लाखों की अग्रिम का नहीं हुआ समायोजन
खुलासा. कार्यपालक पदाधिकारी सहित कनीय अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई का भेजा गया प्रस्ताव लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता व लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में वीरपुर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी व कनीय अभियंता पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. सुपौल : वीरपुर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी […]
लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता व लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में वीरपुर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी व कनीय अभियंता पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.
सुपौल : वीरपुर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी अमोल मिश्रा व कनीय अभियंता बंदवारी साहु पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. वीरपुर एसडीएम ने दोनों अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा के लिये जिलाधिकारी को पत्र भेजा है. जिसमें दोनों अधिकारियों पर लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता तथा लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप है. बताया जा रहा है कि यह पत्र एसडीएम द्वारा नौ फरवरी को ही जिलाधिकारी को प्रेषित किया गया है. दरअसल अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी वीरपुर के न्यायालय में दायर परिवाद में दोनों अधिकारियों पर अनियमितता बरतने का आरोप लगया गया था. वाद निष्पादन के क्रम में कनीय अभियंता अनियमितता के दोषी पाये गये.
जबकि कार्यपालक पदाधिकारी भी उसमें सहभागी सिद्ध हुए. अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश पर वीरपुर के कार्यपालक दंडाधिकारी से कुछ योजनाओं की जांच करवायी गयी. एसडीएम ने उस जांच प्रतिवेदन का जिक्र करते हुए कहा है कि प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि मामला घोर अनियमितता का बनता है. बताया कि आरोपों के बाबत कार्यपालक पदाधिकारी व कनीय अभियंता से 13 दिसंबर 2016 को ही स्पष्टीकरण की मांग की गयी. लेकिन पत्र निर्गत होने की तिथि तक स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया गया. एसडीएम ने जिलाधिकारी से नगर विकास एवं आवास विभाग पटना को पत्र लिख कर दोनों अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने का आदेश निर्गत करने हेतु प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया है.
एसडीएम ने अपने पत्र में अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के उस आदेश का भी हवाला दिया है, जिसकी सुनवाई में कार्यपालक पदाधिकारी कभी नहीं पहुंचे. दरअसल परिवादी सह नपं के पूर्व उप मुख्य पार्षद तनवीर आलम ने इस बाबत परिवाद दायर किया था. आरोप है कि कनीय अभियंता वंदवारी साहु द्वारा योजना मद में लाखों की राशि अग्रिम के रूप में बकाया है और उसका समायोजन नहीं किया गया है. वर्ष 2002-03 से वर्ष 2009-10 तक कनीय अभियंता पर 10 लाख 32 हजार 950 रुपये अग्रिम योजना मद में बकाया आ रहा है. जबकि लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा इस बाबत स्पष्टीकरण का कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया.
वही वर्ष 2013-14 में नगर पंचायत के वार्ड नंबर 11 में आर झा के घर से उमा यादव के घर तक पक्की सड़क निर्माण में भी बड़ी राशि गबन का आरोप है, जो कार्य अब तक अपूर्ण है. बताया गया कि इस योजना के लिये प्राक्कलित राशि 11 लाख 77 हजार 700 रुपये थी. जबकि कार्य पूर्ण करने तक मापी पुस्त संख्या 11/13-14 में 12 लाख 13 हजार 147 रुपये दर्ज है. भुगतान किस परिस्थिति में किया गया, यह स्पष्ट नहीं किया गया है. आरोप है कि पुन: कनीय अभियंता द्वारा उसी योजना में 93 हजार 800 रुपये का प्राक्कलन तैयार किया गया और तत्कालीन कार्यपालक अभियंता डूडा से तकनीकी स्वीकृति भी प्राप्त कर ली गयी. इस मामले में भी स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया गया.
अधिनियम के प्रति असंवेदनशीलता का है आरोप : अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अपने पत्र में कहा है कि 14 जुलाई 2016 को परिवाद दायर होने के बाद से नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी अमोल मिश्रा कभी भी सुनवाई के लिये प्राधिकार के समक्ष उपस्थित नहीं हुए और न ही किसी अधिकारी व कर्मी को इसके लिये प्राधिकृत किया. जबकि लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम 2015 के तहत उन्हें नोटिस मिलने पर अनिवार्य रूप से उपस्थित होना था.
उन्होंने कहा है कि कार्यपालक पदाधिकारी की उदासीनता उनके अनुशासन को परिलक्षित करती है. नगर विकास एवं आवास विभाग के ज्ञापांक 5141 दिनांक 30 अगस्त 2010 का जिक्र करते हुए जिलाधिकारी से भी अग्रिम वसूली हेतु पहल का अनुरोध किया है. गौरतलब है कि इस पत्र में विभाग ने जिलाधिकारी को आदेशित किया है कि यदि कर्मियों द्वारा राशि गबन की जाती है तो प्राथमिकी दर्ज करें एवं लंबित अग्रिम की वसूली एक सप्ताह के अंदर करें.
वित्तीय सामंजस्य को नजरंदाज कर हुआ अग्रिम भुगतान
आरोप है कि आर झा के घर से उमा यादव के घर तक योजना संख्या 11/13-14 अभी भी अपूर्ण है. प्राक्कलन के अनुसार सड़क की लंबाई 865 फीट है. लेकिन कार्यपालक दंडाधिकारी वीरपुर की जांच के दौरान 810 फीट 08 इंच सड़क का निर्माण ही पाया गया. सड़क का निर्माण कार्यपालक पदाधिकारी व कनीय अभियंता के पर्यवेक्षण व निरीक्षण के बीच हुआ. बावजूद कार्य अपूर्ण रहने तथा भुगतान हो जाने को अनियमितता माना गया है.
आरोप है कि कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा वित्तीय सामंजस को नजरंदाज करते हुए अभिकर्ता को अग्रिम भुगतान किया जाता रहा है. कार्यपालक पदाधिकारी के प्रतिवेदन का जिक्र करते हुए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने कहा है कि परिवादी द्वारा जिन 08 योजनाओं का मुद्दा उठाया गया, उसकी प्राक्कलित राशि 12 लाख 68 हजार 225 रुपये है.
जिसमें 08 लाख 26 हजार 700 रूपये अग्रिम का भुगतान हो गया. लेकिन समायोजन शून्य है. इतनी बड़ी राशि अग्रिम के तौर पर भुगतान तथा समायोजन शून्य रहने को भी अनियमितता का परिचायक मनाया गया है. कहा है कि यह कार्यपालक पदाधिकारी का ही दायित्व है कि अभिश्रव प्राप्त कर अग्रिम राशि का समायोजन करें. योजना राशि गबन के मामले में वीरपुर नगर पंचायत के कनीय अभियंता बंदवारी साहु के विरुद्ध पूर्व में भी वीरपुर थाना कांड संख्या 42/11 दर्ज है. जो 05 अप्रैल 2011 को दर्ज कराया गया है.
एसडीएम के प्रस्ताव के बाबत जानकारी नहीं है. कई प्रस्ताव आते हैं. अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आया होगा तो निश्चित तौर पर विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी. फाइल देखने के उपरांत ही इस मामले की वस्तु स्थिति से अवगत कराया जा सकेगा.
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