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पांच लाख डकार गये चिकित्सक

सुपौल : जिले में स्वास्थ्य महकमे के खेल निराले हैं. लोगों के रोग उपचार में महारत रखने वाले चिकित्सकों की सरकारी राशि लूट में भी उतनी ही महारत है. जिसका जीता-जागता उदाहरण भी एक चिकित्सक के रूप में ही सामने आया है. दरअसल सदर प्रखंड अंतर्गत बरैल अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फिलहाल अपनी ड्यूटी […]

सुपौल : जिले में स्वास्थ्य महकमे के खेल निराले हैं. लोगों के रोग उपचार में महारत रखने वाले चिकित्सकों की सरकारी राशि लूट में भी उतनी ही महारत है. जिसका जीता-जागता उदाहरण भी एक चिकित्सक के रूप में ही सामने आया है. दरअसल सदर प्रखंड अंतर्गत बरैल अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फिलहाल अपनी ड्यूटी दे रहे चिकित्सक डाॅ अंशु कुमार को प्रतिमाह 44 हजार रुपये का भुगतान हो रहा है. दिलचस्प यह है कि बीते 11 माह से यानि जनवरी 2016 से जनवरी 2017 तक डाॅ अंशु को बिना अनुबंध के

ही राशि का भुगतान किया गया है. यानि 11 महीने में डाॅ अंशु को कुल पांच लाख 72 हजार रुपये का भुगतान अवैध रूप से हो चुका है. लेकिन भुगतान को लेकर न तो कभी स्वास्थ्य महकमे के किसी अधिकारी ने आपत्ति जतायी और न ही कोषागार के अधिकारियों ने. खैर, इससे भी बड़ी बात यह है कि बरैल अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी देने वाले डाॅ अंशु यहां के एकमात्र चिकित्सक हैं और उनके भरोसे ही इस एपीएचसी की स्वास्थ्य सेवाएं संचालित होती हैं.

दिसंबर 2013 में हुआ था दो साल का करार
राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा प्रकाशित विज्ञापन के उपरांत जिला स्वास्थ्य समिति व जिलाधिकारी की अनुशंसा पर 28 दिसंबर 2013 को जिले में छह चिकित्सकों से विभाग द्वारा दो वर्ष का अनुबंध करार किया गया था. जिसमें सामान्य चिकित्सकों को प्रतिमाह 30 हजार तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों को 40 हजार रुपये भुगतान का करार हुआ था. बाद में इस राशि में बढ़ोतरी भी की गयी. अनुबंध में स्पष्ट किया गया था कि आवश्यकता पड़ने पर एक माह का मानदेय अथवा सूचना दे कर विभाग अनुबंध समाप्त भी कर सकता है. जिन छह चिकित्सकों का अनुबंध किया गया उसमें सामान्य चिकित्सक श्वेता कुमारी, डाॅ मनोज कुमार दिवाकर, डाॅ अंशु कुमार, डाॅ विपिन कुमार व डाॅ मनीष कुमार जायसवाल सहित विशेषज्ञ डाॅ रागिनी भूषण शामिल हैं. अनुबंध करार करने के उपरांत चिकित्सकों ने जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में ही निर्धारित स्थलों पर योगदान भी दिया. लेकिन यह अनुबंध दिसंबर 2015 में ही समाप्त हो गया. इसके बाद डॉ अंशु का अनुबंध विस्तार नहीं हुआ है. दीगर बात है कि इसका असर न तो उनके पदस्थापन पर हुआ और न ही भुगतान पर.
सीएस का सरकारी मोबाइल बंद
जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की देखरेख हो या नियम-कायदों का अनुपालन कराना, जिम्मेवारी सिविल सर्जन की ही होती है. लेकिन खुद सिविल सर्जन को ही नियम-कायदों से कोई वास्ता नहीं रह गया है. इस खबर के बाबत सिविल सर्जन डाॅ रामेश्वर साफी के सरकारी मोबाइल (9470003790) पर गुरुवार की शाम 04:55 से 05:02 बजे तक कई बार प्रभात खबर द्वारा संपर्क साधा गया. लेकिन सीएस का यह मोबाइल बंद पाया गया.
नियंत्री पदाधिकारी से प्राप्त विपत्र के आलोक में ही संबंधित कर्मियों को भुगतान किया जाता है. संबंधित मामले की जानकारी नहीं है. इसलिए संभव है कि भूलवश भुगतान कर दिया गया हो. मामले की जांच की जायेगी और विधि सम्मत कार्रवाई भी होगी.
किशोर कुमार कामत, कोषागार पदाधिकारी, सुपौल

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