चैत्र नवरात्र . जिले का माहौल हो गया भक्तिमय
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मां ब्रह्मचारिणी की हुई पूजा
चैत्र नवरात्र . जिले का माहौल हो गया भक्तिमय नौ दिनों तक उपवास रख कर पूजा करने वाले श्रद्धालुओं व भक्तजनों ने पूजा स्थल पर जा कर मां दुर्गा की आराधना की. सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्थानीय चकला निर्मली स्थित मां चैती दुर्गा स्थल पर स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा-अर्चना की. सुपौल […]
नौ दिनों तक उपवास रख कर पूजा करने वाले श्रद्धालुओं व भक्तजनों ने पूजा स्थल पर जा कर मां दुर्गा की आराधना की. सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्थानीय चकला निर्मली स्थित मां चैती दुर्गा स्थल पर स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा-अर्चना की.
सुपौल : कलश स्थापना के बाद शुरू हुआ चैत्र नवरात्रा की पूजा के दूसरे दिन गुरुवार को जिले में पूजा स्थलों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. नौ दिनों तक उपवास रख कर पूजा करने वाले श्रद्धालुओं व भक्तजनों ने पूजा स्थल पर जा कर मां दुर्गा की आराधना की. सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्थानीय चकला निर्मली स्थित मां चैती दुर्गा स्थल पर स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा-अर्चना की.
इसी प्रकार सदर प्रखंड के परसरमा मां ज्वालामुखी मंदिर व अन्य पूजा स्थलों पर भी मां दुर्गा के प्रतिमा की आराधना को लेकर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला सुबह से ही प्रारंभ रहा. मालूम हो कि नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. इसी प्रकार नौ दिनों में देवी के नौ अलग-अलग रूपों की अराधना भक्तों द्वारा की जाती है. नवरात्र को लेकर पूजा स्थलों पर माहौल पूरा भक्तिमय लग रहा था. पूजा स्थल पर श्रद्धालुओं को परेशानी नहीं हो इसके लिए आयोजन समिति द्वारा पूरा ख्याल रखा जा रहा है. विधि व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक तौर पर भी विशेष व्यवस्था की गयी है.
द्वितीया को हुआ मां ब्रह्मचारिणी की अराधना
मां दुर्गा के नवशक्तियों में दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. यहां ब्रह्म शाब्दिक अर्थ तपस्या है. ब्रह्म अथवा तप का आचरण करने वाली. ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप इसलिये इसे तप का आचरण करने वाली माना गया है. ब्रह्चारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है. कहा जाता है कि पूर्व जन्म में जब देवी ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था, तब इन्होंने नारद के उपदेश से भगवान शंकर जी को प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी.
इसी तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया. इसलिये नवरात्र के दूसरे दिन मां के ब्रह्माचारिणी स्वरूप की अराधना भक्तों द्वारा की जाती है. मां के इस स्वरूप की साधना से साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है. इस चक्र में अवस्थित साधक उनकी कृपा व भक्ति को प्राप्त करता है.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होगा आयोजन
स्थानीय चकला निर्मली स्थित चैत्र नवरात्रा पूजा समिति द्वारा पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा के लिए खास इंतजाम किये गये है. पूजा समिति के अध्यक्ष डाॅ विजय शंकर चौधरी ने बताया कि पूजा समिति द्वारा उक्त स्थल पर श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर पंडाल का निर्माण किया गया है. ताकि यहां आने वाले भक्तजनों को कोई असुविधा ना हो. श्री चौधरी ने बताया कि पूजा के दौरान लगने वाले मेले में विभिन्न तरह के सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है.
कहा आगामी 05 अप्रैल को आनंद म्यूजिकल ग्रुप कहलगांव भागलपुर के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा. उन्होंने बताया कि पूजा व उसके अवसर पर लगने वाले मेले के सफल संचालन के लिए पूजा समिति के सचिव सुनील कुमार, जयंत मिश्र, दिवाकर सचिन, चंदन कुमार, दीपक कुमार सिंह, सोनू सिंह, गोलू प्रभात, राहुल, राकेश, कुणाल, अविनाश भारती, कुंदन आदि का सराहनीय योगदान रहा है.
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