सदर अस्पताल. पीड़ित ने रिपोर्ट में अंतर पर सिविल सर्जन से की शिकायत
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अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं
सदर अस्पताल. पीड़ित ने रिपोर्ट में अंतर पर सिविल सर्जन से की शिकायत सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. ताजा मामला अल्ट्रासाउंड जांच से जुड़ा है. सुपौल : सदर अस्पताल यानि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गरीबों का भरोसा. भरोसा इसलिए भी यह सरकारी संस्थान है और यहां उम्मीद यहीं की […]
सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. ताजा मामला अल्ट्रासाउंड जांच से जुड़ा है.
सुपौल : सदर अस्पताल यानि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गरीबों का भरोसा. भरोसा इसलिए भी यह सरकारी संस्थान है और यहां उम्मीद यहीं की जाती है कि जांच से लेकर उपचार तक हर चीज बेहतर होगी. क्योंकि यहां पैसे का कोई खेल नहीं होता है, लेकिन अगर आप भी ऐसा ही सोच रहे हैं, तो गफलत में जी रहे हैं. क्योंकि अबतक सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर जो दाग लगते रहे हैं, उसमें केवल डॉक्टरों की लापरवाही की बात ही सामने आयी है, लेकिन ताजा मामला सदर अस्पताल में उपलब्ध अल्ट्रासाउंड जांच से जुड़ा है. दरअसल अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. जिसके बाद यह स्पष्ट हो चुका है
कि यहां की जांच रिपोर्ट भरोसेमंद तो बिल्कुल नहीं है. नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या दो निवासी स्व उमेश प्रसाद सिंह के पुत्र अनिल कुमार सिंह ने मामले की शिकायत असैनिक शल्य चिकित्सा सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से की है. सिविल सर्जन को दिये आवेदन में उन्होंने जांच रिपोर्ट की ही जांच करने तथा उचित कार्रवाई का अनुरोध किया है.
क्या है जांच रिपोर्ट का मामला
वार्ड संख्या दो निवासी अनिल कुमार सिंह ने शिकायत में कहा है कि लगातार पेट दर्द की समस्या रहने के कारण वे गत एक मार्च को सदर अस्पताल उपचार के लिए पहुंचे थे, जहां मौजूद चिकित्सक डाॅ मिहिर कुमार वर्मा के कहने पर उन्होंने सदर अस्पताल में ही अल्ट्रासाउंड करवाया. खास बात यह रही कि रिपोर्ट में उनके किडनी में 28 गुणा 29 एमएम आकार का शिष्ट यानि पथरी बताया गया. जाहिर है, रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली थी.
डाॅ वर्मा ने उन्हें तुरंत उपचार कराने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि बिना ऑपरेशन इस आकार के पथरी को नष्ट नहीं किया जा सकता है. उन्होंने तात्कालिक आराम के लिए कुछ दवा भी सुझाये. हालांकि श्री सिंह ने उक्त दवा का सेवन नहीं किया. इस बीच किसी अन्य व्यक्ति के सुझाव पर 20 मार्च को वे शहर के गुणेश्वर अल्ट्रासाउंड पहुंचे, जहां पथरी होने की बात को ही पूरी तरह नकार दिया गया. इसके बाद उत्पन्न उहापोह की स्थिति ने बेचैनी और भी अधिक बढ़ा दी. सोमवार को एक बार फिर सदर अस्पताल पहुंचे और अल्ट्रासाउंड जांच करायी. जहां एक बार फिर पथरी की बात तो सामने आयी, लेकिन आंकड़े चौकाने वाले थे. क्योंकि 20 दिनों के अंदर ही बिना किसी दवा सेवन के पथरी का आकार लगभग आधा हो चुका था. सोमवार की जांच रिपोर्ट में पथरी का आकार 14 गुणा 16 एमएम बताया गया. जिसके बाद श्री सिंह ने तीनों जांच रिपोर्ट को संलग्न करते हुए सीएस से शिकायत की और मामले की जांच की मांग की.
रिपोर्ट में गलती की है पूरी गारंटी!
सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सुविधा के लिए अधिकृत एजेंसी आइजीइ मेडिकल सिस्टम, पटना द्वारा अपनी पर्ची पर लिखा गया है कि जांच रिपोर्ट के शत प्रतिशत सही होने की कोई गारंटी नहीं है, लेकिन जिस प्रकार 20 दिनों के अंदर ही तीन अलग-अलग जांच रिपोर्ट और एजेंसी के ही दो रिपोर्ट ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है, यह तय माना जा रहा है कि रिपोर्ट पूरी तरह गलत जरूर है. यहां दिलचस्प यह है कि सरकारी स्तर पर ही अधिकृत एजेंसी को प्रत्येक जांच के लिए भुगतान किया जाता है. जो आम लोगों के लिए नि:शुल्क सुविधा है. ऐमे में विशेष तौर पर गरीब तबके के लोग सदर अस्पताल में ही अल्ट्रासाउंड करवाते हैं और गलत रिपोर्ट के आधार पर ही अपना उपचार करवाने को विवश हैं.
अधिकारियों को भी नहीं है भुगतान की जानकारी: सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए अधिकृत एजेंसी को जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से प्रत्येक जांच के विरुद्ध भुगतान किया जाता है, लेकिन सोमवार को इस संदर्भ में जब सिविल सर्जन डाॅ रामेश्वर साफी व अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ एनके चौधरी से संपर्क किया गया, उन्होंने बताया कि भुगतान बैंक खाता में ही किया जाता है. किस दर पर भुगतान होता है, इसकी जानकारी नहीं है. हालांकि अधिकारियों ने बताया कि सुविधा आम लोगों के लिए नि:शुल्क है. जांच के लिए कोई भी शुल्क लेना दंडनीय अपराध है.
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