28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चार माह पूर्व मरे थे सैकड़ों पशु

परेशानी. पीपीआर बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं कोसी के मवेशी पीपीआर बीमारी से चार माह पूर्व जुलाई महीने में सदर प्रखंड की परसरमा पंचायत, सुखपुर पंचायत बलहा पंचायत, बकौर पंचायत आदि इलाकों में एक साथ सैकड़ों पशुओं की मौत हुई थी. सुपौल : पीपीआर बीमारी का प्रभाव कोसी प्रमंडल में गत दो वर्षों से […]

परेशानी. पीपीआर बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं कोसी के मवेशी

पीपीआर बीमारी से चार माह पूर्व जुलाई महीने में सदर प्रखंड की परसरमा पंचायत, सुखपुर पंचायत बलहा पंचायत, बकौर पंचायत आदि इलाकों में एक साथ सैकड़ों पशुओं की मौत हुई थी.
सुपौल : पीपीआर बीमारी का प्रभाव कोसी प्रमंडल में गत दो वर्षों से अधिक देखा जा रहा है. महज चार माह पूर्व जुलाई महीने में सदर प्रखंड के परसरमा पंचायत, सुखपुर पंचायत बलहा पंचायत, बकौर पंचायत आदि इलाकों में एक साथ सैकड़ों पशुओं की मौत हुई थी. पशुपालन विभाग के अनुसार सहरसा जिले के बख्तियारपुर प्रखंड, नवहट्टा प्रखंड, मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड, शंकरपुर प्रखंड, गम्हरिया प्रखंड सहित सुपौल जिले के सुपौल प्रखंड, वीरपुर प्रखंड, त्रिवेणीगंज प्रखंड इलाके में अब तक कई बार इस रोग के कारण सैकड़ों की संख्या में बकरियों की मौत हो चुकी है.
डॉ संजय राम बताते हैं कि इस बीमारी के उपचार से बेहतर के बचाव को अपनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है. पीपीआर संक्रमण के जरिये सबसे अधिक फैलता है. इस रोग से पीड़ित पशु का उपचार पशु चिकित्सक की देखरेख में की जाय. डॉ ने बताया कि रोग फैलने की स्थिति में इसकी सूचना नजदीकी पशु चिकित्सक को देकर तत्काल बीमार पशु को स्वस्थ्य पशु से अलग रखें. साथ ही अभी चार माह की आयु से ऊपर के सभी बकरी और भेड़ों का टीकाकरण करवाना महत्वपूर्ण की जाये.
फैल रही बीमारी टीकाकरण जरूरी
कोसी प्रमंडल के तीनों जिले में गत एक वर्षों से पीपीआर नाम की बीमारी बकरियों और भेंड़ों में लगातार महामारी के तरह फैल रही है. इस बीमारी के चपेट में आ कर अब तक सैकड़ों बकरियों की मौत हो चुकी है. बैक्टेरिया जनित यह रोग खासकर बकरियों में महामारी के तरह फैलता है. पीपीआर के संक्रमण से प्रभावित पशु एक सप्ताह के दौरान मर जाता है. इस बाबत जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि संक्रमित पशु अचानक सुस्त हो जाता है और उसे तेज बुखार रहता है. पशुओं को सांस लेने में कठिनाई होती है. बीमारी से प्रभावित पशुओं के आंख, मुंह, नाक से पानी के तरह स्राव निकलता है जो कुछ समय बाद गाढ़ा हो जाता है. आंखों की पलके सट जाती है. प्रभावित होने के दो या तीन दिन बाद पशु के मुंह के अंदर का भाग काफी लाल हो जाता है और मुंह के अंदर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. तीन-चार दिन बाद पशु को पतला दस्त होने लगता है. इस दौरान प्रभावित पशु का बुखार कम या सामान्य से भी कम हो जाता है. रोग ग्रस्त पशुओं की एक सप्ताह में मौत हो जाती है. डॉ ने बताया कि यह विषाणु जनित बीमारी है. जिस कारण इस बीमारी क का कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें