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अब अगर टूटा घर, तो काट देंगे तटबंध

महा पंचायत . िवस्थापित परिवारों में दिखा भारी आक्रोश, कहा नहीं सुनता कोई फरियाद प्रशासन पर गैर कानूनी तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए रविवार की सुबह जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर एक स्थित पुनर्वास मुहल्ले में विस्थापित परिवारों द्वारा महा पंचायत बुला कर प्रशासनिक कार्रवाई के विरुद्ध कई कड़े निर्णय लिये गये. […]

महा पंचायत . िवस्थापित परिवारों में दिखा भारी आक्रोश, कहा नहीं सुनता कोई फरियाद

प्रशासन पर गैर कानूनी तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए रविवार की सुबह जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर एक स्थित पुनर्वास मुहल्ले में विस्थापित परिवारों द्वारा महा पंचायत बुला कर प्रशासनिक कार्रवाई के विरुद्ध कई कड़े निर्णय लिये गये.
सुपौल : महा पंचायत में उपस्थित सैकड़ों विस्थापित परिवार के सदस्यों ने प्रशासन पर दो रंगी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए एक स्वर में कहा कि वर्षों से बसे बाढ़ विस्थापितों के घर को यदि प्रशासन द्वारा बल पूर्वक तोड़ा गया तो सभी विस्थापित परिवार एकजुट हो कर कोसी तटबंध को काट देंगे. महा पंचायत में उपस्थित कई पंचायत के विस्थापितों ने गत दिनों पुनर्वास मुहल्ला में लोकायुक्त के आदेश पर स्थानीय प्रशासन द्वारा की गयी कार्रवाई की निंदा की.
महा पंचायत के दौरान सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक भूषण यादव एवं विजय कामत का घर पुन: उसी भूमि पर निर्माण नहीं किया जाता है, तब तक सभी विस्थापित परिवार एकजुट हो कर प्रशासन के विरुद्ध चरणबद्ध आंदोलन चलाते रहेंगे. ज्ञात हो कि गत गुरुवार को स्थानीय प्रशासन ने लोकायुक्त के आदेश का पालन करते हुए पुनर्वास मुहल्ला स्थित भूषण यादव एवं विजय कामत के घर को तोड़ कर हटा दिया था.इस घटना के बाद स्थानीय पुनर्वासित प्रशासन के इस कार्रवाई से नाराज चल रहे थे.शनिवार को विस्थापित परिवार एकजुट हो कर चरणबद्ध आंदोलन चलाने की रणनीति तैयार करने में जुट गये.
रविवार की सुबह पुनर्वास मुहल्ला स्थित सेवा निवृत शिक्षक शिव नारायण यादव के आवास पर महा पंचायत आयोजित कर सर्वसम्मति से प्रशासनिक कार्रवाई के विरुद्ध न्याय के लिए पुनर्वास स्थल में बसे परिवारों एक कमेटी का गठन भी किया गया.महापंचायत के दौरान गठित की गयी कमेटी पुनर्वास मुहल्ले के सभी समस्याओं के साथ-साथ मुहल्ला के विकास के लिए कार्य करेगी.
घर तोड़ने से पूर्व बसाने का हो प्रबंध : महा पंचायत में उपस्थित विस्थापित परिवारों ने कहा कि वे लोग कोसी नदी के कटाव से विस्थापित होने के बाद पुनर्वास के लिए चिन्हित स्थल पर आ कर बसे हैं.बताया कि प्रशासन द्वारा यह कहा जा रहा है कि उक्त जमीन दूसरे के नाम पर आवंटित है.जबकि उन लोगों को जहां पुनर्वास मिला था उस पर किसी तीसरे ने कब्जा जमा रखा है.अब सवाल उठता है कि प्रशासन विस्थापित लोगों की समस्या को देखते हुए उजाड़ने से पूर्व बसाने का प्रबंध क्यों नहीं कर रही
है.विस्थापित परिवारों ने बताया कि भूषण यादव एवं विजय कामत का घर तोड़ कर उन्हें बेघर कर दिया गया.एक विस्थापित के लिए दूसरे विस्थापित का घर उजाड़ना कहां तक न्यायसंगत है.महा पंचायत में शामिल लोगों ने कहा कि यदि प्रशासन द्वारा आगे किसी भी पुनर्वासित लोगों के घरों को उजाड़ा जायेगा तो बाढ़ विस्थापितों के विरोध का सामना करना पड़ेगा.
सुशील अध्यक्ष शालीग्राम बने उपाध्यक्ष : प्रशासनिक कार्रवाई के विरुद्ध चरणबद्ध तरीके से आंदोलन तेज करने एवं मुहल्ले के समुचित विकास के लिए महा पंचायत के दौरान गठित कमेटी के संयोजक शिव नारायण यादव बनाये गये हैं.रमेश चंद्र झा को सह संयोजक की जिम्मेवारी सौंपी गयी है.जबकि अध्यक्ष पद पर सुशील कुमार यादव तथा उपाध्यक्ष पद के लिए शालीग्राम झा का सर्व सम्मति से चयन किया गया.शंभु चौधरी को सचिव, विजय कामत को सहायक सचिव की जवाबदेही सौंपी गयी है.इसके अलावा संगीत लाल यादव कोषाध्यक्ष, मीना कुमर झा प्रवक्ता, अधिवक्ता गणेश कुमार, सुभाष कुमार एवं रामचंद्र यादव को कानूनी सलाहकार के रूप में कमेटी में स्थान दिया गया है.इस दौरान 22 सदस्यीय कार्यकारिणी का भी गठन किया गया.
वर्षों से ठगे जा रहे हैं कोसी पीड़ित
महा पंचायत में उपस्थित सैकड़ों लोगों की जुबान से बार-बार यही बातें सुनने को मिल रही थी कि कोसी तटबंध के निर्माण के समय से ही उन लोगों के साथ सरकार व प्रशासन द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.इसके अलावे विस्थापित परिवारों ने बताया कि कोसी तटबंध के निर्माण काल में जब उन लोगों ने विरोध दर्ज किया तो स्थानीय बैरिया मंच पर पहुंचे देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने लोगों को समझाते हुए कहा था कि उनकी एक आंख कोसी तटबंध के भीतर रहेगी.वहीं पूर्वी व पश्चिमी कोसी तटबंध के बीच बसे लोगों को तटबंध के बाहर पुनर्वासित करने, प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को जीविकोपार्जन के लिए सरकारी नौकरी देने, सरकारी नौकरियों में तटबंध के भीतर बसे लोगों को आरक्षण आदि दिये जाने की घोषणा की गयी थी.लेकिन कुछ लोगों को पुनर्वासित कर शेष बचे लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया.विस्थापित परिवारों की मानें तो पुनर्वासित किये जाने के बाद उनके जीविकोपार्जन के लिए किसी प्रकार का प्रबंध नहीं किये जाने का नतीजा है कि आज भी हजारों परिवार कोसी तटबंध के भीतर बाढ़ व कटाव का दंश झेलने को विवश हैं.

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