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50 वर्ष से चलाते हैं दुकान

रेलवे ने जारी किया नोटिस, व्यवसायियों ने किया प्रदर्शन नगर परिषद की विवादित जमीन में बसे सैकड़ों दुकानदारों ने गुरुवार को मांगों के समर्थन में समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया. सुपौल : जिला मुख्यालय के उत्तरी व दक्षिणी हटखोला रोड में रेलवे व नगर परिषद की विवादित जमीन में बसे सैकड़ों दुकानदारों ने गुरुवार को […]

रेलवे ने जारी किया नोटिस, व्यवसायियों ने किया प्रदर्शन

नगर परिषद की विवादित जमीन में बसे सैकड़ों दुकानदारों ने गुरुवार को मांगों के समर्थन में समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया.
सुपौल : जिला मुख्यालय के उत्तरी व दक्षिणी हटखोला रोड में रेलवे व नगर परिषद की विवादित जमीन में बसे सैकड़ों दुकानदारों ने गुरुवार को मांगों के समर्थन में समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया. साथ ही मांगों से संबंधित एक ज्ञापन जिला पदाधिकारी को समर्पित कर कार्रवाई की मांग की. प्रदर्शनकारी दुकानदार व व्यवसायियों ने कहा कि रेलवे द्वारा अवैध रूप से रेलवे की भूमि पर कब्जा जमाने के संबंध में दुकानदारों को नोटिस दिया गया है, जिसका विरोध करते उन्होंने कहा कि रेलवे की 100 फीट भूमि नगर परिषद को हस्तानांतरित की गयी थी, जबकि 250 फीट जमीन रेलवे के हिस्से में है.
हाल नगरपालिका सर्वे खतियान जो 1988 में अंतिम रूप से प्रकाशित हुआ. उक्त 100 फीट जमीन का खाता नंबर 198 नगरपालिका के नाम से दर्ज किया गया. इसके बाद रेलवे द्वारा 28 वर्षों में कोई आपत्ति नहीं उठायी गयी. तत्कालीन डीएम रविकांत ने भी अपने पत्रांक 967 दिनांक 23 जून 1992 के माध्यम से मंडल रेल प्रबंधक समस्तीपुर को विस्तृत रूप से उल्लेख करते बताया था कि उत्तर व दक्षिण हटखोला रोड स्थित सड़क, फ्लेंक, नाला व सड़क किनारे की जमीन सुपौल नगरपालिका की संपत्ति है. यह जमीन पूर्ण रूप से उनके अधिकार में है.
नगरपालिका को उक्त 100 फीट जमीन में से बची एराजी को पूर्ण रूप से बंदोबस्त करने का अधिकार है. इस सब के बावजूद रेलवे द्वारा मनमाने तरीके से उक्त 100 फीट जमीन में बसे लोगों व व्यवसायियों को उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिसका पीड़ितों द्वारा विरोध किया जायेगा. प्रदर्शनकारी पीड़ित व्यवसायियों ने डीएम से नगर परिषद व रेलवे की भूमि की नापी करा कर नगर परिषद की भूमि को सुरक्षित करने व विवाद के निराकरण के लिए पहल करने की मांग की. मौके पर भगवान दत्त चौधरी, गगन ठाकुर, विजेंद्र यादव, बच्चा लाल चौधरी, अफरोज आलम, विजय कुमार गुप्ता, बैद्यनाथ चौधरी, संतोष कुमार, चंद्रमोहन चौधरी, देव कुमार सिंह, बबलू कुमार, कुंदन ठाकुर, रामेश्वर साह, हरेराम साह, उमेश चौधरी, चंदन ठाकुर, फुदी मुखिया, विजय कुमार सिंह, राजेश कुमार, विकास कुमार आदि मौजूद थे.
दुकान से परिवार की चलती है रोजी-रोटी
50 वर्ष से वे नगर परिषद से बंदोबस्ती करा कर उक्त जमीन पर चाय-पान, नाश्ता आदि की दुकानें करते आ रहे है. इससे उनके परिवार की रोजी-रोटी चलती है. उन्होंने बताया कि यह 100 फीट जमीन 1919 में ही रेलवे द्वारा जिला परिषद और बाद में नगर परिषद हस्तगत किया गया था. नगरपालिका द्वारा उक्त जमीन पर सड़क, नाले व अन्य कई तरह का निर्माण भी कराया गया. स्थानीय प्रशासन की स्वीकृति के
अनुरूप रेल मंत्रालय द्वारा 23 मार्च 1974 को बिहार सरकार के माध्यम से इस मामले में रेलिंग्विस(सहमति) कर विवादों को समाप्त कर दिया गया. बावजूद हाल के दिनों में रेलवे द्वारा जबरन नगर परिषद की जमीन हड़पने के लिए झूठा नोटिस जारी किया गया है. जो पूरी तरह गलत है.

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