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सचिव का आदेश भी बेअसर

अफसोस. लापरवाही की मार झेल रहा सदर अस्पताल जिले के करीब 23 लाख की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत से निर्मित सदर अस्पताल खुद बीमार अवस्था में है. अस्पताल की बदहाल व्यवस्था, जीवन रक्षक दवाओं का अभाव व चिकित्सक एवं कर्मियों की कमी से जूझ रहे इस […]

अफसोस. लापरवाही की मार झेल रहा सदर अस्पताल

जिले के करीब 23 लाख की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत से निर्मित सदर अस्पताल खुद बीमार अवस्था में है. अस्पताल की बदहाल व्यवस्था, जीवन रक्षक दवाओं का अभाव व चिकित्सक एवं कर्मियों की कमी से जूझ रहे इस अस्पताल की सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
सुपौल : जिले के करीब 23 लाख की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत से निर्मित सदर अस्पताल खुद बीमार अवस्था में है. जिला प्रशासन की उदासीनता एवं अस्पताल प्रबंधन की मनमानी का नतीजा है कि यहां उपचार करा कर चंगा होने के उद्देश्य से पहुंचने वाले लोग और अधिक बीमार हो कर लौट रहे हैं.
अस्पताल की बदहाल व्यवस्था, जीवन रक्षक दवाओं का अभाव व चिकित्सक एवं कर्मियों की कमी से जूझ रहे इस अस्पताल की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. अस्पताल की दुर्दशा को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रबंधन पूरी तरह सरकार के उद्देश्य पर पानी फेरने पर तुला है.
अस्पताल के बाहरी हिस्से में जमा गंदा पानी एवं दिन भर परिसर में विचरण करते आवारा पशुओं के झुंड द्वारा फैलाये गये गंदगी की वजह से इन दिनों यहां पहुंचने वाले मरीज एवं उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लोग नाक पर कपड़ा रख कर अस्पताल में प्रवेश करते हैं. यह दीगर बात है कि जिला प्रशासन एवं अस्पताल प्रबंधन लोगों की इस समस्या से अनजान है. विगत माह अस्पताल भवन के निरीक्षण के दौरान भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ने भी परिसर में जल जमाव को देख कर नाराजगी व्यक्त की थी.
लेकिन इस समस्या के समाधान हेतु अब तक कोई ठोस पहल नहीं किये जा सके हैं.
अस्पताल भवन का निर्माण अभी बांकी है. निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बाद स्वत: उक्त गड्ढे में मिट्टी भर जायेगी. फिलहाल मिट्टी भराये जाने की कोई योजना नहीं है.
बैद्यनाथ यादव, जिला पदाधिकारी, सुपौल

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