सिमराही : सरकार द्वारा सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके इसे लेकर विद्यालयों को बेहतर सुविधाओं लैस किया जा रहा है. साथ ही विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में व्यापक वृद्धि दर्ज की जा सके इसे लेकर मध्याह्न भोजन योजना भी संचालित की गयी है. ताकि बच्चों का सामाजिक हासिये पर […]
सिमराही : सरकार द्वारा सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके इसे लेकर विद्यालयों को बेहतर सुविधाओं लैस किया जा रहा है. साथ ही विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में व्यापक वृद्धि दर्ज की जा सके इसे लेकर मध्याह्न भोजन योजना भी संचालित की गयी है. ताकि बच्चों का सामाजिक हासिये पर जीवन बसर कर रहे परिवारों के बच्चों का बौद्धिक व शारीरिक विकास समुचित तरीके से करायी जा सके.
लेकिन राघोपुर प्रखंड के हरिपुर पंचायत स्थित उर्दू प्राथमिक विद्यालय हनुमान नगर के प्रधानाध्यापक के मनमानी रवैया के कारण विभागीय नियम व कायदे की धज्जियां उड़ायी जा रही है. विद्यालय प्रबंधन की मनमरजी के कारण पठन पाठन से लेकर बीते कई दिनों से मध्याह्न भोजन जैसी महत्वाकांक्षी योजना प्रभावित है. आलम यह है कि विद्यालय में जहां दैनिकी बच्चों की उपस्थिति नगण्य देखी जा रही है.
वहीं महीनों से प्रधानाध्यापक मध्याह्न भोजन की राशि व चावल रहने के बावजूद छात्रों को योजना का लाभ उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं.
नामांकन 200 का उपस्थित 34
हरिपुर पंचायत में संचालित उर्दू प्राथमिक विद्यालय हनुमान नगर में करीब 200 बच्चें नामांकित हैं. साथ ही इस विद्यालय में छह शिक्षकों का पदस्थापन भी है. लेकिन विद्यालय प्रबंधन की कुव्यवस्था के कारण रविवार को महज 34 बच्चे ही विद्यालय में उपस्थित थे. इस संबंध में जब विद्यालय प्रधान मो मंजर आलम से जानकारी ली गयी तो उन्होंने कहा कि दो दिनों से रसोईया की तबीयत खराब रहने के चलते एमडीएम बंद है. जबकि विद्यालय में दो रसोईया कार्यरत है. जहां एक रसोईया अमरीका देवी विद्यालय में उपस्थित थी. एमडीएम के बारे में जब रसोईया से जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि हेड सर के आदेश से भोजन नहीं पकाया जा रहा है. हालांकि रसोईया के जवाब को काटते हुए विद्यालय प्रधान मो आलम ने कहा कि बच्चों की उपस्थिति कम रहने के कारण विद्यालय में एमडीएम बंद है.
सहायक शिक्षक ने खोला एमडीएम का पोल
विद्यालयी व्यवस्था पर विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए विद्यालय के अन्य सहायक शिक्षक बीबी नजमा, मो इसराइल, मो इरफान व प्रमोद कुमार ने कहा कि बीते माह विद्यालय प्रबंधन द्वारा मात्र दस दिन ही एमडीएम चलाया गया. जबकि इस माह में 5 दिन के कार्य दिवस में तीन दिनों से एमडीएम बंद पड़ा है. मालूम हो कि उर्दू विद्यालयों में साप्ताहिक छुट्टी शुक्रवार को दी जाती है. जबकि अन्य विद्यालयों में यह अवकाश रविवार को होता है.
हैरत की बात यह रही कि बच्चे से जब इस संबंध में जानकारी ली गयी तो विद्यालय प्रधान के खौफ के कारण अधिकांश बच्चों ने दबी जुबान से कहा कि खाना सभी रोज पकाया जाता है. जब शिक्षकों के बीच इस बात का खुलासा हुआ उसके बाद स्वयं प्रधान शिक्षक भी खाना बंद रहने की बात को स्वीकार किया. अब यहां सवाल उठना लाजिमी है कि बच्चों को अच्छे संस्कार हासिल के लिए अभिभावक नौनिहालों को विद्यालय भेजते हैं लेकिन जब शिक्षा के मंदिरों में ही बच्चों से इस तरह का कृत्य करवाया जाय. तब समाज के भविष्य किस प्रकार संवारा जायेगा. यह अपने आप में एक बड़ा सवाल पैदा हो रहा है.