सुपौल : चैत माह प्रारंभ होते ही ग्रीष्म ऋतु ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है़ बढ़ती गर्मी के कारण लोगों के गले अभी से सुखने लगे हैं. धूप की तल्खी भी हर रोज बढ़ने लगी है़ नतीजा है कि तापमान के पारे में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है़ बढ़ती गरमी एवं […]
सुपौल : चैत माह प्रारंभ होते ही ग्रीष्म ऋतु ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है़ बढ़ती गर्मी के कारण लोगों के गले अभी से सुखने लगे हैं. धूप की तल्खी भी हर रोज बढ़ने लगी है़ नतीजा है कि तापमान के पारे में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है़ बढ़ती गरमी एवं धूप की तपिश में बढ़ोतरी की वजह से आम आवाम की समस्या में इजाफा दिखने लगा है़ तरह-तरह के रोग बढ़ने लगे हैं. जिसमें डायरिया, बुखार, मलेरिया, कालाजार आदि मुख्य है़
जिले के विभिन्न हिस्सों में इन दिनों चेचक व मिजिल्स की शिकायत भी मिल रही है़ रोगों में वृद्धि की वजह से अस्पतालों में रोगियों का तांता लगने लगा है़ समय से कुछ पहले ही पारा 34 व 36 डिग्री सेल्सिअस के पार चले जाने से लोगों की चिंता बढ़ी हुई है़ लोगों के बीच जारी चर्चा में असमय हुई तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा माना जा रहा है़
स्कूल जाने वाले बच्चों की बढ़ी परेशानी : ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ होते ही अन्य वर्षों की भांति इस बार भी कचहरी के काम-काज के समय में परिवर्तन कर दिया गया है़ सोमवार से मॉनिंग कचहरी शुरू हो जाने से वकीलों के साथ ही मुवक्किलों को राहत मिली है़ वहीं गर्मी व धूप के परवान चढ़ते ही कचहरी का काम-काज निपट जाता है़
जिससे लोग समय पर घर लौट जाते है़ लेकिन स्कूल-कॉलेजों के समय-सारणी में अब तक कोई फेर बदल नहीं की गयी है़ जिसके कारण स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को तेज धूप व गरमी का खामियाजा भुगतना पड़ता है़ आंगनबाड़ी केंद्रों के परिचालन की समयावधि में भी सुधार नहीं होने से यहां आने वाले बच्चों की मुश्किलें बढ़ने लगी है़