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नो इंट्री केवल कागजों तक सीमित, मूकदर्शक है प्रशासन

नो इंट्री केवल कागजों तक सीमित, मूकदर्शक है प्रशासन फोटो-01कैप्सन – नो इंट्री के बावजूद शहर में दिन-दहाड़े दौड़ती ट्रकप्रतिनिधि,सुपौलयूं तो शहर में बड़े वाहनों के प्रवेश के लिए प्रशासन द्वारा समय-सीमा निर्धारित किये गये हैं और इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है. लेकिन कहते हैं कि नियम व कानून तोड़ने के […]

नो इंट्री केवल कागजों तक सीमित, मूकदर्शक है प्रशासन फोटो-01कैप्सन – नो इंट्री के बावजूद शहर में दिन-दहाड़े दौड़ती ट्रकप्रतिनिधि,सुपौलयूं तो शहर में बड़े वाहनों के प्रवेश के लिए प्रशासन द्वारा समय-सीमा निर्धारित किये गये हैं और इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है. लेकिन कहते हैं कि नियम व कानून तोड़ने के लिए ही बनते हैं. भारी वाहनों के शहर में प्रवेश पर यह कहावत सटीक बैठती है. प्रशासन द्वारा जारी निर्देश के बावजूद शहर में दिन-दहाड़े भारी वाहनों का बड़ी संख्या में प्रवेश बेरोक-टोक जारी है और प्रशासनिक निर्देश बेअसर साबित होता नजर आ रहा है. ऐसे में नो इंट्री के मुद्दे पर खुद प्रशासन सवालों के घेरे में है. साथ ही घेरे में है नो इंट्री की उपयोगिता. नो इंट्री के नाम पर होती है अवैध उगाही दरअसल शहर में सुबह 07:00 बजे से रात 09:00 बजे तक बड़े वाहनों का प्रवेश वर्जित है. लेकिन बड़े वाहनों के लिए नो इंट्री केवल कागजी खानापूर्ति साबित हो रही है. दिन के 24 घंटे वाहनों का आवागमन बेरोक-टोक जारी रहता है और प्रशासन मूकदर्शक बनी रहती है. लोगों की माने तो शहर में बड़े वाहनों के प्रवेश व निकासी के लिए अवैध रूप से पैसे की उगाही की जाती है. प्रशासन द्वारा किसी भारी वाहन को नो इंट्री उल्लंघन के लिए जुर्माना नहीं लगाना भी इन आरोपों को बल देता है.दो स्थानों पर है बैरियर, दोनों बेकार शहर में बड़े वाहनों के प्रवेश को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा दो बैरियर प्वाइंट बनाये गये हैं. दोनों स्थानों पर होमगार्ड के जवान तैनात किये गये हैं. लेकिन दोनों में से किसी भी बैरियर पर कभी भी किसी ट्रक अथवा बड़े वाहन को रोका नहीं जाता है. इनमें से एक बैरियर प्वाइंट समाहरणालय से कुछ ही दूर डिग्री कॉलेज के समीप बना है. जहां से क्रॉस करने के बाद वाहन समाहरणालय द्वार के सामने से होकर गुजरती है. बावजूद अधिकारियों की इस ओर नजर तक नहीं जाती है. कई बार घटी घटनाएं, नहीं रुक रहा वाहन नो इंट्री अवधी के दौरान शहर में कई बार दुर्घटनाएं घटित हो चुकी हैं. जिसमें दर्जनों लोग जान गंवा चुके हैं. अमूमन हर माह एक दुर्घटना घटित होती है. विरोध में सड़क जाम होता है. इसके उपरांत अधिकारियों की ओर से आश्वासन भी दिये जाते हैं. लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. वक्त रहते अगर कार्रवाई नहीं की गयी तो प्रशासन के लिए नो इंट्री गले की फांस साबित हो सकती है. ऐसे में देखना यह है कि प्रशासन की नींद आखिर कब खुलती है और शहर में नो इंट्री का पालन कब शत प्रतिशत लागू हो पाता है. नो इंट्री पर प्रशासन की नजर है. नियम का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जायेगी. नदीमूल गफ्फार सिद्दीकी, एसडीएम, सुपौल

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