मरौना : सरकार द्वारा सूबे के प्रत्येक गांव तक बिजली पहुंचाने के प्रयास किये जा रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से अरबों रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन हकीकत यह है कि आज भी प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग ढिबरी युग में जीवन व्यतीत करने को विवश हैं.
सरोजाबेला फीडर में बिजली उपलब्ध रहने के बावजूद भी उपभोक्ताओं को अंधेरे में रहने के लिए विवश होना पड़ रहा है.प्रखंड के कई गांवों के उपभोक्ताओं ने बताया कि विभागीय अधिकारी व कर्मियों की लापरवाही के कारण उन्हें विद्युत सेवा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. स्थिति यह है कि कई गांवों में लगातार 24 से 36 घंटे तक बिजली गुल रहती है. उपभोक्ताओं द्वारा बार-बार शिकायत किये जाने के बावजूद इसमें सुधार नहीं किया जाता.
नतीजतन उपभोक्ताओं में आक्रोश व्याप्त है.कई उपभोक्ताओं का कहना है कि कनीय अभियंता के सरकारी मोबाइल नंबर पर संपर्क करना टेढ़ी खीर साबित होता है. उनका नंबर या तो व्यस्त हो ता है या फिर कवरेज ऐरिया से बाहर बताता है. प्रखंड के सिमराहा निवासी तरुण कुमार ने बताया कि बिजली नहीं था तो ही अच्छा था, कम से कम हमें ढिबरी का सहारा तो था.
बरहाड़ा निवासी प्रदीप कुमार का कहना है कि बिजली की समस्या को लेकर जेई से कभी उनके सरकारी नंबर पर बात ही नहीं होती है. हररी पंचायत के देबु यादव ने बताया कि बिजली फीडर में रहने के बावजूद हमलोगों को लाईनमैन व पदाधिकारियों की शिथिलता के कारण अंधेरे में रहना पड़ता है. मरौना के रामप्रीत मुखिया का कहना है कि जेई की लापरवाही के कारण हमेशा ऐसी समस्या उत्पन्न होती है.