सिमराही : परमात्मा अजर, अमर, अविनाशी एवं शाश्वत है. इसे हम सभी अपने -अपने तरीकों से मानते और पूजते हैं. उक्त बातें मंगलवार को राघोपुर प्रखंड के दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित चार दिवसीय रामानंदी चार चकाई सत्संग समारोह में संन्यासी हीरा दासी माता ने कहीं.
दासी माता ने कहा की आचार्य शंकराचार्य जी महाराज ने कहा है कि परमात्मा ने लीला करने के लिए अनेकों रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया. इन्हें हम और आप अलग अलग रूप में मान कर पूजने लगे. इस तरह से जो जिस धर्म को मानते हैं, परमात्मा उनको उसी रूप में मिलता है.
उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा की शास्त्रों का अध्ययन मात्र से परमात्मा को खोजा नहीं जा सकता है. परमात्मा तो कण-कण में बसा है, लेकिन दिखता नहीं है. परमात्मा को देखने के लिए इच्छाशक्ति के साथ- साथ मन को एकाग्र करना होगा, तभी परमात्मा के दर्शन होंगे.
उन्होंने ह्रदय में रक्त की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा की जिस तरह हृदय और रक्त का संबंध एक दूसरे से के बिना अधूरा है, ठीक उसी तरह जीवन में मधुर, मजबूत व घनिष्ठ संबंधों का महत्व है. सत्संग समारोह में बड़ी संख्या में दूर -दराज से आये संत महात्माओं ने अपनी अमृत वाणी से लोगों को आत्मबोध कराया.
सत्संग स्थल पर आयोजक द्वारा श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी के संत श्री नारायण दास जी महराज एवं स्थानीय श्रदालुओं की तरफ से सत्संग में भाग लेने व सुनने वालों के लिए महा प्रसाद की व्यवस्था की गयी थी. इसमें सैकड़ों की संख्या में संत व श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया.
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शिव शंकर कुमार दास, गुरुदेव ठाकुर, ए दामोदर साह, गंगा प्रसाद चौधरी, जगदेव प्रसाद, विशो यादव, हीरा दास सहित दर्जनों स्थानीय कार्यकर्ताओं का सराहनीय योगदान रहा.