पश्चिमी तटबंध(गंडौल): सदियों की बात करें तो कोसी नदी के पश्चिमी तटबंध व कमला बलान नदी के तटबंध के बीच बसी लाखों की आबादी कारागार जैसी जिंदगी जीने को विवश थी, लेकिन सूबे में हुए सत्ता परिवर्तन की आंधी ने कोसी के इलाके में भी परिवर्तन की हवा को रास्ता दिखाया. नतीजतन स्थानीय राजनीति व प्रदेश स्तर की फिरकेबाजी के बीच कोसी के बलुआहा घाट व कमला बलान नदी के विभिन्न धाराओं पर अरबों की लागत से पुल बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ. फिलवक्त अखंड मिथिला बनाने का स्वपA संजोये पुल ने अपनी आधी दूरी तय कर ली है. वर्ष 2016 तक कोसी का यह इलाका मिथिलांचल के गौरव दरभंगा से जुड़ जायेगा, लेकिन विकास अपनी रफ्तार पकड़ चुकी है. कल तक गाड़ी के सहारे रेंगने वाले सड़क पर अत्याधुनिक गाड़ियां व बाइक फर्राटा भर रही है.
अर्थव्यवस्था में उछाल स्वाभाविक
कहते हैं कि सड़क व पुल-पुलिया विकास का रास्ता प्रशस्त करती है. यह सच्चई भी है जो तटबंध के अंदर बसे गंडौल, बघवा सहित अन्य गांवों में प्रतीत हो रही है. तटबंध के किनारे से लेकर गांव की गलियों तक में घरेलू उपयोग के उत्पादों के काउंटर खुल गये हैं, ब्रांडेड मोबाइल के सेल्स, सर्विस से लेकर रिपेयरिंग तक की सुविधा उपलब्ध है. पश्चिमी तटबंध पर मोबाइल सर्विस की दुकान चला रहे स्थानीय निवासी संजीव चौधरी बताते हैं कि इस इलाके में संपन्न लोगों की कमी नहीं थी, लेकिन संसाधन के अभाव में लोग सुविधा का लाभ नहीं उठा पाते थे. अब स्थिति बदलने लगी है, लोग ब्रांडेड समान के शौकीन हो गये हैं , जो सूबे की अर्थव्यवस्था को रोजाना नई ऊंचाई प्रदान कर रहा है.
बदलने लगा है लाइफ स्टाइल
सहरसा से भाया दरभंगा, मुजफ्फरपुर व राजधानी पटना से जुड़ने में दो वर्ष का समय शेष है. कोसी नदी के बलुआहा घाट सहित नदी की धाराओं पर निर्माणाधीन पुलों ने क्षेत्र की जीवनशैली को बदलने का काम किया है. यंग जेनरेशन से लेकर चिल्लर पार्टी तक रेडिमेड गार्मेट की शौकीन हो गयी है. गंडौल के नवीन चौधरी बताते है कि रास्ता धीरे-धीरे सुगम होता जा रहा है, लोग सभी प्रकार के शौक को पूरा करना चाह रहे है.
हाइटेक हो गये है सब के सब
पुराने दिनों की बात करे तो कोसी पश्चिमी तटबंध पर किसी खास व्यक्ति के पास मोबाइल फोन हुआ करता था, जहां प्रदेश में रह रहे गांव के लोग अपने परिजनों को फोन किया करते थे. लोगों को फोन करने पर संबंधित व्यक्ति द्वारा लाउड स्पीकर के जरिये नाम पुकार बुलावा भेजते थे. इसके एवज में फोन सुनने वाले व्यक्ति द्वारा शुल्क अदा किया जाता था.गंडौल के युवक सुभाष चौधरी बताते हैं कि वर्तमान में स्थिति बेहतर हो गयी है, गांव की युवा पीढ़ी फेसबुक, ट्यूटर जैसे सोशल साइट व टेली कांफ्रेंस के जरिये अपने दूर दराज के शुभेच्छु से बात करते है. इतना ही नहीं मोबाइल बैंकिंग का लाभ भी क्षेत्र के लोग बड़े पैमाने पर उठा रहे है.