वीरपुर : सीमा पर एसएसबी और नेपाली तस्करों के बीच बुधवार को हुई झड़प में जख्मी जवानों को वीरपुर स्थित ललित नारायण अनुमंडलीय अस्पताल में भरती कराया गया है. एसएसबी जवानों के भरती होने के साथ ही अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की पोल खुल गयी है. आउट सोर्सिंग के तहत अस्पताल के साफ-सफाई समेत अन्य व्यवस्था के लिए कार्यरत युग परिवर्तन नामक संस्था की मनमानी के कारण यहां पहुंचने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
एनजीओ कर्मियों की मनमानी का आलम यह है कि किसी भी बेड पर सतरंगी चादर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा. नतीजतन रोगियों को खुले बेड पर सोने के लिए विवश होना पड़ रहा है.चादर के संबंध में पूछने पर एनजीओ के कर्मी राज कुमार ने बताया कि रोगियों को चादर उपलब्ध कराना नर्स का काम है,
क्योंकि अस्पताल में भरती होने वाले मरीजों की सही जानकारी उन्हीं के पास रहती है.वहीं इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ कुमार वीरेंद्र से संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन उनके अवकाश पर रहने के कारण संपर्क नहीं हो पाया.गौरतलब है कि स्थानीय लोगों द्वारा काफी लंबे समय से जारी संघर्ष के बाद इस अस्पताल को अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त हुआ, लेकिन यहां की अव्यवस्था से स्थानीय लोगों में निराशा है.