सुपौल : विद्युत बिल विपत्र में विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही से उपभोक्ता परेशान हैं. नगर परिषद के वार्ड नंबर 22 के उपभोक्ता बासुदेव साह ने बताया कि विद्युत विभाग द्वारा उन्हें पांच लाख 70 हजार 989 रुपये का बिल भेज दिया है. इस कारण वे मानसिक रूप से परेशानी हैं.
पीडि़त ने बताया कि एक अप्रैल 2010 को बिजली का कनेक्शन लिया था. उक्त समय से विभाग द्वारा भेजे गये बिल के अनुरूप राशि को जमा करते आ रहे हैं. बताया कि बिल विपत्र के ऊपर पिछले भुगतान का विवरण भी दिया गया है, जहां पिछले भुगतान की राशि 767 रुपये, रसीद संख्या एनबीबीडी 1000000074989 सहित दिनांक 30/06/2015 उल्लिखित है.
बताया कि उत्तर बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड द्वारा भेजे गये अक्तूबर के बिल विपत्र में कनेक्शन के विवरण में उपभोक्ता श्रेणी डीएस- 11, मीटर फेज- सिंगल फेज, एरिया टाइप – अरबन, स्वीकृत भार – एक किलोवाट, जमानत की राशि – शून्य, फीडर का नाम/ कोड- एसयूटी, डीटी कोड – एसपीएल/ सीएस, पोल कोड- 0700351022, बिल का आधार – एक्चुअल अंकित है.
वहीं बकाये विवरण में विभाग द्वारा अग्रिम जमा- शून्य, ऊर्जा बकाया- 407.52, विलंब अधिभार बकाया-04.33, अन्य भार शून्य तथा कुल बकाया- 411.85 अंकित है. जबकि वर्तमान विपत्र का विवरण में ऊर्जा शुल्क- 530516.70, वर्तमान माह का विलंब अधिभार- 06.11, फिक्सड चार्ज/ डिमांड चार्ज- 56.83, आधिक्य डिमांड भार-शून्य, इंधन अधिभार- शून्य, विद्युत शुल्क- 31830.99, मीटर किराया – 20.67, कैपिसिटर प्रभार- शून्य, किस्त की राशि व अन्य शुल्क -292.60, कुल अभि निर्धारण ‘ब’ – 562138.70, कुल मांग ‘अ+ब’-562550.55, जमानत राशि पर सूद- शून्य, इंसेंटिव – शून्य व छूट की राशि – 9774.50 अंकित है.
श्री साह ने बताया कि विभाग बिजली की चोरी करने वाले उपभोक्ता पर आर्थिक दंड सहित अन्य कार्रवाई करता है. इसी तरह उपभोक्ता के साथ विभाग द्वारा की गयी मनमानी पर विभाग को भी दंडित किये जाने का प्रावधान होना चाहिए, ताकि उपभोक्ता मानसिक रूप से परेशान न हो.