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शक्ति पीठ में शामिल हैं राजेश्वरी का दुर्गा मंदिर

शक्ति पीठ में शामिल हैं राजेश्वरी का दुर्गा मंदिर जदिया. त्रिवेनिगज अनुमंडल अंतर्गत राजेश्वरी पूर्वी पंचायत स्थित मां राज राजेश्वरी के दरबार में जो सच्चे मन से शीष नवाता है, उनकी सारी मुरादें माता पूरी करती हैं. कहा जाता है की यह मंदिर काफी प्राचीन है लोगों का कहना है की कोसी नदी को भी […]

शक्ति पीठ में शामिल हैं राजेश्वरी का दुर्गा मंदिर जदिया. त्रिवेनिगज अनुमंडल अंतर्गत राजेश्वरी पूर्वी पंचायत स्थित मां राज राजेश्वरी के दरबार में जो सच्चे मन से शीष नवाता है, उनकी सारी मुरादें माता पूरी करती हैं. कहा जाता है की यह मंदिर काफी प्राचीन है लोगों का कहना है की कोसी नदी को भी यहां अपनी धारा बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा था. जिसका अवशेष आज भी छोटी नदी के रूप में देखा जा रहा है. इस मंदिर में प्रत्येक दिन भक्त दूर-दूर से पहुंचते हैं. लेकिन नवरात्रा के समय भक्तों की भीड़ अधिक बढ़ जाती है. ऐसा माना जाता है की देवी के रज गिरने से इसका नाम राज राजेश्वरी पड़ा था. कहा जाता है की प्रसिद्ध 108 शक्ति पीठ में राज राजेश्वरी भी एक शक्ति पीठ है. इसकी चर्चा वेद-पुराण में भी की गयी है. इस मंदिर परिसर में झाड़ू पोछा लगाने का भी विशेष महत्व है. जो भक्त सच्चे मन से शक्तिपीठ में झाड़ू पोछा लगाते हैं उनकी मनोकामना मां पूरी करती हैं. लोगों का ऐसा भी मानना है की असुरो ने मां देवी से शादी का प्रस्ताव दिया था. जिस पर मां ने शर्त रखी की मुर्गा के बांग देने से पहले अगर सात पोखर का निर्माण असुरो द्वारा किया जाता है तो प्रस्ताव को स्वीकार किया जायेगा. असुरो द्वारा छह पोखर का निर्माण कर लिया लेकिन सातवें पोखर का निर्माण नहीं हो सका. जो आज भी तीन ही महार का बना है. जिसके चलते इस गांव का नाम तीनटंगी पड़ा था. यहां बलि प्रदान की काफी प्रधानता है. हालांकि बलि प्रदान का सिलसिला कमोवेश सालों भर चलता रहता है. पुजारी अशोक मिश्र यहां नियमित पूजा अर्चना कराते हैं. दशहरा के मौके पर मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है.

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